CBSE-IX-Hindi
11: आदमी नामा - नज़ीर अकबराबादी
- #Sparsh Chapter 11 आदमी नामा
- #Section : Aपाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
- Qstn #1निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
- चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारामक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
- ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता ने इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
- इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों ?
- आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
Ans : 1. पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के विभिन्न रूपों, जैसे- बादशाह गरीब, भिखारी, मालदार एवं अमीर, कमजोर, स्वादिष्ट और दुर्लभ भोज्य पदार्थ खाने वाला तथा दूसरे छंद में। सूखी रोटी के टुकड़े चबाने वाले व्यक्ति का वर्णन हुआ है।
2. कवि ने अपने चारों छंदों में आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर अनेक रूपों में रखा है; जैसे-
- आदमी ही बादशाह है तो उसकी प्रजा भी आदमी ही है।
- कुरान पढ़ाने वाला आदमी है तो उसे सुनने और समझने वाला भी आदमी ही है।
- जूतियाँ चुराने वाला आदमी है तो उन जूतियों को रक्षक भी आदमी ही है।
- आदमी से प्यार करने वाला भी आदमी है तो उस पर तलवार उठाने वाला भी आदमी ही है।
- अच्छे कार्य करने वाले भी आदमी हैं, तो बुरे काम करने वाले भी आदमी ही हैं।
3. “आदमी नामा’ शीर्षक कविता के अंशों को पढ़कर हमारे मन में मनुष्य के प्रति यह धारणा बनती है कि, आदमी ही है जो अच्छा और बुरा दोनों कार्य करता है। अच्छे कार्य करने और दूसरों की भलाई करने के कारण वह पीर और देवता के समान बन जाती है, परंतु मनुष्य जब दूसरों को सताने का काम करता है तो वह निंदा का पात्र बन जाता है।
4. इस कविता में संकलित चारों ही नज्में अच्छी हैं, परंतु तीसरी नज्म मुझे विशेष रूप से अच्छी लगी क्योंकि आदमी ही आदमी से प्रेम करता है, अपनी जान न्योछावर करता है। वह भी आदमी ही है जो संकट में फँसे व्यक्ति की मदद करने के लिए भागा-भागा जाता है।
5. इस संसार में अनेक प्रवृत्तियों वाले आदमी हैं। इनमें मसजिद बनाने वाले, कुरान पढ़ने लोग है तो उसी मसजिद में कुरान पढ़ाने वालों के अलावा जूतियाँ चुराने वाले लोग भी है। एक ओर दूसरों पर जान न्योछावर करने वाले लोग हैं। तो ऐसे लोग भी हैं जो दूसरों पर तलवार उठाते हैं। आदमी की बेइज्जती करने वाले लोग हैं तो आदमी की मदद करने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। - पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
- #2-कदुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमीAns : व्याख्या- इस दुनिया में लोगों पर शासन करने वाला बादशाह भी आदमी है तो दीन-दुखी, नंगे, दरिद्र और भिखारी आदि भी आदमी ही हैं। इस तरह संसार में तरह-तरह के आदमी हैं जिनकी स्थिति, व्यवहार, चरित्र और स्वभाव में बहुत अंतर है परंतु वे सब आदमी ही हैं।
- #2-खअंशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीरAns : व्याख्या- इस दुनिया में अच्छे काम करने वाले सज्जन पुरुष और दूसरों को सताने वाला कमीना से कमीना व्यक्ति भी आदमी ही है। दूसरों पर राज करने वाला राजा और मंत्री भी आदमी ही है। दूसरों को दुख पहुँचाने और दूसरों को सुख देने वाले दोनों ही तरह के लोग आदमी ही हैं।
- #3-कपढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमीAns : निम्नलिखित पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है कि जिस मस्जिद में एक ओर आदमी नमाज़ और कुरान पढ़ता है, वहीं दूसरा आदमी जूतियाँ चुराने के चक्कर में रहता है। इसी स्थान पर एक अन्य आदमी इन जूतियों की रखवाली करता है। अर्थात् कहने को सब आदमी है, परंतु उनके कार्य और चरित्र अलग-अलग हैं।
- #3-खपगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमीAns : एक आदमी वह है जो दूसरों की बेइज्जती करने से नहीं चूकता है, वहीं ऐसा भी आदमी है जो संकट में फँसे व्यक्ति की पुकार सुनकर भागा जाता है। व्यंग्य यह है कि अच्छा हो या बुरा कार्य करने वाला आदमी ही होता है।
- Qstn #4नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
राज़ (रहस्य)
फ़न (कौशल)
राज (शासन)
फन (साँप का मुंह)
जरा (थोड़ा)
फ़लक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा)
फलक (लकड़ी का तख्ता)
ज़ फ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।Ans : ज़मीन
जनाब
फ़िक्र
वफ़ादार
- Qstn #5निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए-
- टुकड़े चबाना
- पगड़ी उतारना
- मुरीद होना
- जान वारना
- तेग मारना
Ans :- टुकड़े चबाना- अकर्मण्य लोगों के सामने दूसरों के टुकड़े चबाने के अलावा कोई रास्ता नहीं रहता है।
- पगड़ी उतारना- कुछ लोग दूसरों की पगड़ी उतारने का मौका खोजते रहते हैं।
- मुरीद होना- भारतीय व्यंजन खाकर विदेशी भी मुरीद हो जाते हैं।
- जान वारना- माँ अपने बेटे पर हमेशा जान वारने को सदा तैयार रहती है।
- तेग मारना- जो लोग दूसरों को तेग मारते हैं, वे निंदा के योग्य होते हैं।
- टुकड़े चबाना
- #Section : A-s1योग्यता विस्तार
- Qstn #1अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे।Ans : छात्र स्वयं करें।
- #Section : Bअन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- Qstn #1‘आदमी नामा’ कविता का मूल कथ्य/प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।Ans : ‘आदमी नामा’ कविता का मूलकथ्य/प्रतिपाद्य है- आदमी को उसकी वास्तविकता का आइना दिखाना तथा विभिन्न प्रवृत्तियों और स्वभाव वाले व्यक्तियों के कार्य व्यवहार को अभिव्यक्त करना। आदमी ही है जो अच्छा या बुरा काम करता है और अपने कर्म के अनुसार पीर अथवा शैतान का दर्जा प्राप्त करता है।