CBSE-IX-Hindi
11: आदमी नामा - नज़ीर अकबराबादी
- #3निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए- (क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी (ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी (क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी (ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमीAns : (क) निम्नलिखित पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है कि जिस मस्जिद में एक ओर आदमी नमाज़ और कुरान पढ़ता है, वहीं दूसरा आदमी जूतियाँ चुराने के चक्कर में रहता है। इसी स्थान पर एक अन्य आदमी इन जूतियों की रखवाली करता है। अर्थात् कहने को सब आदमी है, परंतु उनके कार्य और चरित्र अलग-अलग हैं। (ख) एक आदमी वह है जो दूसरों की बेइज्जती करने से नहीं चूकता है, वहीं ऐसा भी आदमी है जो संकट में फँसे व्यक्ति की पुकार सुनकर भागा जाता है। व्यंग्य यह है कि अच्छा हो या बुरा कार्य करने वाला आदमी ही होता है। (क) निम्नलिखित पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है कि जिस मस्जिद में एक ओर आदमी नमाज़ और कुरान पढ़ता है, वहीं दूसरा आदमी जूतियाँ चुराने के चक्कर में रहता है। इसी स्थान पर एक अन्य आदमी इन जूतियों की रखवाली करता है। अर्थात् कहने को सब आदमी है, परंतु उनके कार्य और चरित्र अलग-अलग हैं। (ख) एक आदमी वह है जो दूसरों की बेइज्जती करने से नहीं चूकता है, वहीं ऐसा भी आदमी है जो संकट में फँसे व्यक्ति की पुकार सुनकर भागा जाता है। व्यंग्य यह है कि अच्छा हो या बुरा कार्य करने वाला आदमी ही होता है।
- #3-कपढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमीAns : निम्नलिखित पंक्तियों में अभिव्यक्त व्यंग्य यह है कि जिस मस्जिद में एक ओर आदमी नमाज़ और कुरान पढ़ता है, वहीं दूसरा आदमी जूतियाँ चुराने के चक्कर में रहता है। इसी स्थान पर एक अन्य आदमी इन जूतियों की रखवाली करता है। अर्थात् कहने को सब आदमी है, परंतु उनके कार्य और चरित्र अलग-अलग हैं।
- #3-खपगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमीAns : एक आदमी वह है जो दूसरों की बेइज्जती करने से नहीं चूकता है, वहीं ऐसा भी आदमी है जो संकट में फँसे व्यक्ति की पुकार सुनकर भागा जाता है। व्यंग्य यह है कि अच्छा हो या बुरा कार्य करने वाला आदमी ही होता है।