CBSE-IX-Hindi

11: आदमी नामा - नज़ीर अकबराबादी

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  • Qstn #2
    आदमी किन स्थितियों में पीर बन जाता है?
    Ans : जब आदमी अच्छा कार्य करता है, दूसरों पर अपनी जान न्योछावर करता है, दूसरों को संकट में फँसा देखकर उसकी मदद के लिए दौड़ा जाता है तथा धर्मगुरु बनकर दूसरों को मानवता की सेवा करने का उपदेश देता है तो इन परिस्थितियों में आदमी पीर बन जाता है।
  • Qstn #3
    ‘आदमी नामा’ कविता व्यक्ति के स्वभाव के बारे में क्या अभिव्यक्त करती है?
    Ans : ‘आदमी नामा’ कविता किसी व्यक्ति के अच्छे स्वभाव का उल्लेख करती है, उसके कर्म और विशेषता को अभिव्यक्ति करती है तो दूसरों की जान लेने, बेइज्जती करने तथा जूतियाँ चुराने जैसे निकृष्ट कार्यों को भी अभिव्यक्त करती है। इस प्रकार यह कविता व्यक्ति के स्वभाव की विविधता का ज्ञान कराती है।
  • Qstn #4
    ‘सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी’ के माध्यम से नज्मकार ने क्या कहना चाहा है?
    Ans : सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी के माध्यम से नज्मकार ने आदमी के मानवीय गुणों; जैसे- दयालुता, सहृदयता, संवेदनशीलता और उपकारी प्रवृत्ति का उल्लेख करना है। इन मानवीय गुणों के कारण व्यक्ति किसी की याचना भरी पुकार को अनसुना नहीं कर पाता है और मदद के लिए भाग जाता है।
  • Qstn #5
    मसज़िद का उल्लेख करके नज्मकार ने किस पर व्यंग्य किया है? इसका उद्देश्य क्या है?
    Ans : मसजिद का उल्लेख करके नज्मकार ने उस आदमी पर व्यंग्य किया है जो मसजिद में नमाज और कुरान पढ़ने आए लोगों की जूतियाँ चुराता है। ऐसे आदमी पर व्यंग्य करने का उद्देश्य यह बताना है कि आदमी अलग-अलग स्वभाव वाले होते हैं जो अच्छे या बुरे कर्म करते हैं।
  • Qstn #6
    ‘आदमी नामा’ कविता में आदमी की किन-किन अनुकरणीय एवं मानवीय प्रवृत्तियों का उल्लेख किया गया है?
    Ans : ‘आदमी नामा’ कविता में मनुष्य की जिन मानवीय और अनुकरणीय प्रवृत्तियों का उल्लेख किया गया है, उनमें मुख्य हैं-

    • आदमी धार्मिक स्थानों का निर्माण करवाता है।
    • आदमी दूसरों को धार्मिक ज्ञान देता है।
    • आदमी दूसरों से प्रेम करता है।
    • आदमी दूसरों की करुण पुकार सुनकर उसकी मदद के लिए दौड़ा जाता है।
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    Section : C
    दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
  • Qstn #1
    नज़ीर अकबराबादी ने आदमी के चरित्र की विविधता को किस तरह उभारा है?’आदमी नामा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
    Ans : कवि नज़ीर अकबराबादी ने ‘आदमी नामा’ कविता में आदमी के चरित्र को उसके स्वभाव और कार्य के आधार पर उभारा है। उनका कहना है कि दुनिया में लोगों पर शासन करने वाला आदमी है, तो गरीब, दीन-दुखी और दरिद्र भी आदमी है। धनी और मालदार लोग आदमी हैं तो कमजोर व्यक्ति भी आदमी है। स्वादिष्ट पदार्थ खाने वाला आदमी है तो दूसरों के सूखे टुकड़े चबाने वाला भी आदमी है। इसी प्रकार दूसरों पर अपनी जान न्योछावर करनेवाला आदमी है तो किसी पर तलवार उठाने वाला भी आदमी है। एक आदमी अपने कार्यों से पीर बन जाता है तो दूसरा शैतान बन जाता है। इस तरह कवि ने आदमी के चरित्र की विविधता को उभारा है।
  • Qstn #2
    नज्मकार ने मसजिद का उल्लेख किस संदर्भ में किया है और क्यों?
    Ans : नज्मकार नज़ीर ने मसजिद का उल्लेख स्थान एवं आदमी की विविधता बताने के संदर्भ में किया है। मसजिद वह पवित्र स्थान है जहाँ व्यक्ति कुरान और नमाज़ पढ़ता है परंतु उसके दरवाजे पर चोरी भी की जाती है। इसके अलावा उसी मस्जिद को आदमी ने बनवाई, उसके अंदर इमाम कुरान और नमाज़ पढ़ाता है, जो अलग-अलग कोटि के आदमी है। वहीं जूतियाँ चुराने वाला अपना काम करने का प्रयास कर रहा है तो उनका रखवाला भी आदमी ही है। इस पवित्र स्थान पर भी मनुष्य अपने-अपने स्वभाव के अनुसार कार्य कर रहे हैं। उनकी प्रवृत्ति उनमें भिन्नता प्रकट कर रही है।
  • Qstn #3
    ‘आदमी नामा’ पाठ के आधार पर आदमी के उस रूप का वर्णन कीजिए जिसने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया?
    Ans : ‘आदमी नामा’ कविता में आदमी के जिस रूप ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया वह है उसका उच्च मानवीय वाला रूप। ऐसा आदमी ऊँच-नीच का भेद-भाव किए बिना मनुष्य पर जान न्योछावर करता है। वह सबको समान मानकर उनसे प्रेम करता है। वह मनुष्य की भलाई के लिए सदा परोपकार करता है और किसी संकटग्रस्त आदमी की पुकार सुनते ही उसकी मदद करने के लिए चल पड़ता है और उसे संकटमुक्त करने का हर संभव प्रयास करता है।