ICSE-X-Hindi

ICSE Hindi Question Paper 2019 Solved for Class 10 year:2019

page 6
Qstn# B-15 Prvs-QstnNext-Qstn
  • #15
    Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी
    में लिखिए :आपके विवेक पर सबको विश्वास है। मैं आपसे निवेदन करने आई हूँ कि
    यद्यपि समय के फेर से आज हाड़ा, शक्ति और साधनों में मेवाड़ के उन्नत
    राज्य से छोटे हैं, फिर भी वे वीर हैं। मेवाड़ को विपत्ति के दिनों से
    सहायता देते रहे हैं। यदि उनसे कोई धृष्टता बन पड़ी हो, तो महाराणा उसे भूल
    जाएँ और राजपूत शक्तियों में स्नेह का संबंध बना रहने दें।
    [‘मातृभूमि का मान’-हरिकृष्ण ‘प्रेमी’]
    [‘Matribhoomi Ka Man’-Harikrishna ‘Premi’] (i) प्रस्तुत कथन किसने, किससे कहा है ? स्पष्ट कीजिए। (ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। (iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। (iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए। (ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। (iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। (iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए। (ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। (iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। (iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए।
    Ans : (i) प्रस्तुत संवाद चारणी ने महाराणा लाखा से कहा है। वह मेवाड़ के शासक
    महाराणा लाखा के सेना के सैनिक वीरसिंह की साथी है जो बूंदी का रहने वाला
    है। (ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है। (iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। (iv) प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई। (ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है। (iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। (iv) प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई। (ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है। (iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। (iv) प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई।
  • #15-i [2]
    प्रस्तुत कथन किसने, किससे कहा है ? स्पष्ट कीजिए। (ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। (iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। (iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए। (ii) मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए। (iii) चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए। (iv) ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए।
    Ans : प्रस्तुत संवाद चारणी ने महाराणा लाखा से कहा है। वह मेवाड़ के शासक
    महाराणा लाखा के सेना के सैनिक वीरसिंह की साथी है जो बूंदी का रहने वाला
    है। (ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है। (iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। (iv) प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई। (ii) मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है। (iii) चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। (iv) प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई।
  • #15-ii [2]
    मेवाड़ को विपत्ति के दिनों में किसने सहायता दी है ? चारणी यह बात क्यों याद दिलाती है ? स्पष्ट कीजिए।
    Ans : मेवाड़ को उसकी विपत्ति के दिनों में हाड़ा जैसे छोटे राज्य
    सहायता देते रहे हैं। चारणी यह बात इसलिए याद दिलाना चाहती है क्योंकि वह
    संपूर्ण राजपूत राज्यों में स्नेह और एकसूत्रता का बंधन देखना चाहती है।
  • #15-iii [3]
    चारणी ने महाराणा को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का क्या उपाय बताया ? यह कितना उचित था, इस संदर्भ में अपने विचार दीजिए।
    Ans : चारणी ने महाराणा को बूंदी का एक नकली दुर्ग बनाने और उसका नाश करके
    अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का उपाय बताया। यह उपाय ऐसा था कि किसी राजपूत
    राज्य की हानि भी न होती और महाराणा की प्रतिज्ञा भी पूरी हो जाती। यह ऐसा
    उत्तम उपाय था कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे।
  • #15-iv [3]
    ‘मातृभूमि का मान’ कैसी एकांकी है ? शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करते हुए बताइए।
    Ans : प्रस्तुत
    एकांकी में हाड़ा राजपूत वीरसिंह के बलिदान का चित्रण है। वह नकली दुर्ग को
    प्राणों से प्रिय मानकर बूंदी की रक्षा करते-करते मेवाड़ की भारी सेना के
    सामने अपना बलिदान देता है। इस बलिदान से यह लाभ हुआ कि राजपूतों की एकता
    का मार्ग प्रशस्त हो गया और मातृभूमि के मान को सर्वोपरि रखने वाले वीरसिंह
    की गाथा अमर हो गई।