CBSE-IX-Hindi

15: नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ - अरुण कमल

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  • #1
    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है? (ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है? (ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? (घ) ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है? (ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है? (च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है? (क) नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है? (ख) कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है? (ग) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? (घ) ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है? (ङ) कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है? (च) इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
    Ans : (क) कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। अपने ठिकाने पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। पीपल का पेड़ हो या ढहा हुआ मकान या खाली प्लाट, सबमें शीघ्र ही परिवर्तन हो जाता है। इसलिए वह प्रायः रास्ता भूल जाता है। (ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है

    • पीपल का पेड़
    • ढहा हुआ घर
    • जमीन का खाली टुकड़ा।
    • बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान।
    (ग) कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे
    यो आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे घर तृक पहुँचाने वाली निशानियाँ मिट चुकी हैं। उसने एक इकमंजिले मकान की निशानी बना रखी थी जिस पर बिना रंग वाला लोहे का फाटक था। परंतु अब न वह फाटक रहा न वह मकान इकमंजिला रहा। इसलिए वह अपने निश्चित लक्ष्य को ढूँढता-ढूंढता आगे या पीछे चला गया। (घ) “वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ का अभिप्राय है-एकाएक परिवर्तन हो जाना। आने और जाने के समय में ही परिवर्तन हो जाना।
    ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ का अभिप्राय है-कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो जाना। जाने के समय और लौटने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो जाना। (ङ) इस कविता में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है। लोग हरदम कुछ-न-कुछ करने, बनाने और रचने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस अंधी प्रगति में उनकी पहचान खो गई है। वे स्वयं को भूल गए हैं। इसके कारण उनके भीतर एक डर समा गया है कि कहीं वे अकेले तो नहीं रह गए हैं। क्या कोई उन्हें पहचानने वाला मिल जाएगा या नहीं। लोगों के पास इतनी फुरसत नहीं है कि वे इस अंधे निर्माण से समय निकालकर एक-दूसरे के साथ आत्मीयता जोड़ सकें। (च) इस कविता में कवि ने शहरों की निरंतर गतिशीलता, कर्मप्रियता और निर्माण की अंधी दौड़ के कारण खोती आत्मीयता का चित्रण किया है। शहरों में नई-नई बस्तियाँ, नए-नए निर्माण तो रोज हो रहे हैं किंतु उनकी पहचान और आत्मीयता नष्ट हो रही है। (क) कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। अपने ठिकाने पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। पीपल का पेड़ हो या ढहा हुआ मकान या खाली प्लाट, सबमें शीघ्र ही परिवर्तन हो जाता है। इसलिए वह प्रायः रास्ता भूल जाता है। (ख) कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है

    • पीपल का पेड़
    • ढहा हुआ घर
    • जमीन का खाली टुकड़ा।
    • बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान।
    (ग) कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे
    यो आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे घर तृक पहुँचाने वाली निशानियाँ मिट चुकी हैं। उसने एक इकमंजिले मकान की निशानी बना रखी थी जिस पर बिना रंग वाला लोहे का फाटक था। परंतु अब न वह फाटक रहा न वह मकान इकमंजिला रहा। इसलिए वह अपने निश्चित लक्ष्य को ढूँढता-ढूंढता आगे या पीछे चला गया। (घ) “वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ का अभिप्राय है-एकाएक परिवर्तन हो जाना। आने और जाने के समय में ही परिवर्तन हो जाना।
    ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ का अभिप्राय है-कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो जाना। जाने के समय और लौटने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो जाना। (ङ) इस कविता में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है। लोग हरदम कुछ-न-कुछ करने, बनाने और रचने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस अंधी प्रगति में उनकी पहचान खो गई है। वे स्वयं को भूल गए हैं। इसके कारण उनके भीतर एक डर समा गया है कि कहीं वे अकेले तो नहीं रह गए हैं। क्या कोई उन्हें पहचानने वाला मिल जाएगा या नहीं। लोगों के पास इतनी फुरसत नहीं है कि वे इस अंधे निर्माण से समय निकालकर एक-दूसरे के साथ आत्मीयता जोड़ सकें। (च) इस कविता में कवि ने शहरों की निरंतर गतिशीलता, कर्मप्रियता और निर्माण की अंधी दौड़ के कारण खोती आत्मीयता का चित्रण किया है। शहरों में नई-नई बस्तियाँ, नए-नए निर्माण तो रोज हो रहे हैं किंतु उनकी पहचान और आत्मीयता नष्ट हो रही है।
  • #1-क
    नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?
    Ans : कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि यहाँ नित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। अपने ठिकाने पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। पीपल का पेड़ हो या ढहा हुआ मकान या खाली प्लाट, सबमें शीघ्र ही परिवर्तन हो जाता है। इसलिए वह प्रायः रास्ता भूल जाता है।
  • #1-ख
    कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?
    Ans : कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है

    • पीपल का पेड़
    • ढहा हुआ घर
    • जमीन का खाली टुकड़ा।
    • बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान।
  • #1-ग
    कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?
    Ans : कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे
    यो आगे इसलिए चल देता है क्योंकि उसे घर तृक पहुँचाने वाली निशानियाँ मिट चुकी हैं। उसने एक इकमंजिले मकान की निशानी बना रखी थी जिस पर बिना रंग वाला लोहे का फाटक था। परंतु अब न वह फाटक रहा न वह मकान इकमंजिला रहा। इसलिए वह अपने निश्चित लक्ष्य को ढूँढता-ढूंढता आगे या पीछे चला गया।
  • #1-घ
    ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?
    Ans : “वसंत का गया पतझड़ को लौटा’ का अभिप्राय है-एकाएक परिवर्तन हो जाना। आने और जाने के समय में ही परिवर्तन हो जाना।
    ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ का अभिप्राय है-कुछ ही समय में एकाएक परिवर्तन हो जाना। जाने के समय और लौटने के समय में ही अद्भुत परिवर्तन हो जाना।
  • #1-ङ
    कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है?
    Ans : इस कविता में कवि ने समय की कमी की ओर इशारा किया है। लोग हरदम कुछ-न-कुछ करने, बनाने और रचने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। इस अंधी प्रगति में उनकी पहचान खो गई है। वे स्वयं को भूल गए हैं। इसके कारण उनके भीतर एक डर समा गया है कि कहीं वे अकेले तो नहीं रह गए हैं। क्या कोई उन्हें पहचानने वाला मिल जाएगा या नहीं। लोगों के पास इतनी फुरसत नहीं है कि वे इस अंधे निर्माण से समय निकालकर एक-दूसरे के साथ आत्मीयता जोड़ सकें।
  • #1-च
    इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?
    Ans : इस कविता में कवि ने शहरों की निरंतर गतिशीलता, कर्मप्रियता और निर्माण की अंधी दौड़ के कारण खोती आत्मीयता का चित्रण किया है। शहरों में नई-नई बस्तियाँ, नए-नए निर्माण तो रोज हो रहे हैं किंतु उनकी पहचान और आत्मीयता नष्ट हो रही है।