CBSE-IX-Hindi
15: नए इलाके में … खुशबू रचते हैं हाथ - अरुण कमल
- #2व्याख्या कीजिए- (क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर
(क) यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
(ख) समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर
Ans : (क) व्याख्या- आज दुनिया में इतनी तीव्र गति से बदलाव हो रहा है कि साल भर का बदलाव एक दिन में हो जाता है। इस बदलाव को देखकर अपनी जानी-पहचानी वस्तुएँ भूलने का भ्रम होने लगता है। यहाँ तक कि सुबह का गया शाम को लौटने पर वह अपना मकान न ढूंढ़ पाने पर लगता है कि एक ही दिन में पुरानी पड़ गई है, क्योंकि कल तक तो कुछ न कुछ फिर नया बन जाएगा। (ख) व्याख्या- कवि कहता है कि तेजी से बदलती दुनिया और उसके साथ तालमेल बिठाने के क्रम में लोगों के पास समय बहुत कम बचा है। कवि देखता है कि आकाश में काले बादल छाये चले आ रहे हैं। वर्षा की पूरी संभावना है। ऐसे में लोग छतों पर आएँगे। अब उनमें से कोई कवि को पहचानकर पुकार लेगा कि आ जाओ, तुम्हारा घर यहीं है, जिसे तुम खोज नहीं पा रहे हो। (क) व्याख्या- आज दुनिया में इतनी तीव्र गति से बदलाव हो रहा है कि साल भर का बदलाव एक दिन में हो जाता है। इस बदलाव को देखकर अपनी जानी-पहचानी वस्तुएँ भूलने का भ्रम होने लगता है। यहाँ तक कि सुबह का गया शाम को लौटने पर वह अपना मकान न ढूंढ़ पाने पर लगता है कि एक ही दिन में पुरानी पड़ गई है, क्योंकि कल तक तो कुछ न कुछ फिर नया बन जाएगा। (ख) व्याख्या- कवि कहता है कि तेजी से बदलती दुनिया और उसके साथ तालमेल बिठाने के क्रम में लोगों के पास समय बहुत कम बचा है। कवि देखता है कि आकाश में काले बादल छाये चले आ रहे हैं। वर्षा की पूरी संभावना है। ऐसे में लोग छतों पर आएँगे। अब उनमें से कोई कवि को पहचानकर पुकार लेगा कि आ जाओ, तुम्हारा घर यहीं है, जिसे तुम खोज नहीं पा रहे हो।
- #2-कयहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
Ans : व्याख्या- आज दुनिया में इतनी तीव्र गति से बदलाव हो रहा है कि साल भर का बदलाव एक दिन में हो जाता है। इस बदलाव को देखकर अपनी जानी-पहचानी वस्तुएँ भूलने का भ्रम होने लगता है। यहाँ तक कि सुबह का गया शाम को लौटने पर वह अपना मकान न ढूंढ़ पाने पर लगता है कि एक ही दिन में पुरानी पड़ गई है, क्योंकि कल तक तो कुछ न कुछ फिर नया बन जाएगा।
- #2-खसमय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर
Ans : व्याख्या- कवि कहता है कि तेजी से बदलती दुनिया और उसके साथ तालमेल बिठाने के क्रम में लोगों के पास समय बहुत कम बचा है। कवि देखता है कि आकाश में काले बादल छाये चले आ रहे हैं। वर्षा की पूरी संभावना है। ऐसे में लोग छतों पर आएँगे। अब उनमें से कोई कवि को पहचानकर पुकार लेगा कि आ जाओ, तुम्हारा घर यहीं है, जिसे तुम खोज नहीं पा रहे हो।