ICSE-X-Hindi

ICSE Hindi Question Paper 2019 Solved for Class 10 year:2019

  • #3
    Read the passage given below and answer in Hindi the questions that follow, using your own words as far as possible :
    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़िए तथा उसके नीचे लिखे गए प्रश्नों के
    उत्तर हिंदी में लिखिए। उत्तर यथासंभव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए :
    एक रियासत थी। उसका नाम था कंचनगढ़। वहाँ बहुत गरीबी थी। लोग कमज़ोर थे और
    धरती में कुछ उगता न था। चारों और भुखमरी थी। एक दिन राजा कंचनदेव राज्य
    की दशा से चिंतित हो उठे। अचानक उनके पास एक साधु आए। राजा ने उन्हें
    प्रणाम किया। राजा ने साधु को अपने राज्य के बारे में बताया और कुछ उपाय
    करने की प्रार्थना की। साधु मुस्कराकर बोले-“कंचनगढ़ के नीचे सोने की खान
    है।” इतना कहकर साधु चले गए। राजा ने खुदाई करवाई। वहाँ सोने की खान निकली।
    राजा का खजाना सोने से भर गया। राजा ने अपने राज्य में जगह-जगह मुफ़्त
    भोजनालय बनवाए, दवाखाने खुलवाए, चारागाह बनवाए तथा अन्य सुख-सुविधा के साधन
    उपलब्ध करा दिए। अब वहाँ कोई दुखी नहीं था।
    सब लोग खुश थे।
    धीरे-धीरे लोग आलसी हो गए। कोई काम नहीं करता था। भोजन तक मुफ़्त में मिलने
    लगा था। मंत्री ने राजा को बहुत समझाया और कहा-“महाराज, लोग आलसी होते जा
    रहे हैं। उनको काम दिया जाए।” परंतु राजा ने मंत्री की बात को टाल दिया।
    कंचनगढ़ की समृद्धि को देखकर पड़ोसी रियासत के राजा को ईर्ष्या हुई। उसने
    अचानक कंचनगढ़ पर चढ़ाई कर दी और माँग की-“सोना दो या लड़ो।” कंचनगढ़ के
    आलसी लोगों ने राजा से कहा-“हमारे पास बहुत सोना है, कुछ दे दें। बेकार खून
    क्यों बहाया जाए?” राजा ने लोगों की बात मान ली और सोना दे दिया। कुछ
    दिनों बाद
    उसी पड़ोसी राजा ने कंचनगढ़ पर फिर चढ़ाई कर दी। इस बार
    उसका लालच और बढ़ गया था। इसी प्रकार उसने कई बार चढ़ाई कर-करके कंचनगढ़ से
    सोना ले लिया। यह सब देखकर राजा का मंत्री बहुत परेशान हो गया। वह राजा को
    समझाना चाहता था, किंतु राजा के सम्मुख कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हो पा
    रही थी। अंत में उसने युक्ति से काम लिया। एक दिन मंत्री कंचनदेव को घुमाने
    के लिए नगर के पूर्व की ओर बने गुलाब के बाग की ओर ले गया। राजा कंचनदेव
    ने देखा कि बाग में दाने बिखरे पड़े हैं।
    कबूतर दाना चुग रहे हैं।
    थोड़ी दूर कुछ कबूतर मरे पड़े हैं। कुछ भी समझ में न आने पर राजा ने मरे
    हुए कबूतरों के बारे में मंत्री से पूछा। मंत्री ने बताया-“महाराज, इन्हें
    शिकारी पक्षियों ने मारा है।” राजा ने पूछा-“तो कबूतर भागते क्यों
    नहीं””भागते हैं लेकिन लालच में फिर से आ जाते हैं, क्योंकि उनके लिए यहाँ,
    आपकी आज्ञा से दाना डाला जाता है।”-मंत्री ने बताया। राजा ने कहा-“दाना
    डलवाना बंद कर दो।”
    मंत्री ने वैसा ही किया। राजा अगले दिन फिर घूमने
    निकले। उन्होंने देखा कि दाना तो नहीं है, किंतु कबूतर आ-जा रहे हैं। राजा
    ने मंत्री से इसका कारण पूछा। मंत्री ने बताया-“महाराज, इन्हें बिना
    प्रयास के ही दाना मिल रहा था। यह अब दाने-चारे की तलाश की आदत भूल चुके
    हैं, आलसी हो गए हैं। शिकारी पक्षी इस बात को जानते हैं कि कबूतर तो यही
    आएँगे अतः वे इन्हें आसानी से मार डालते हैं।” राजा चिंता में पड़ गए।
    उन्होंने शाम को मंत्री को बुलाकर कहा”नगर के सारे मुफ़्त भोजनालय बंद करवा
    दो। जो मेहनत करे, वही खाए। लोग निकम्मे और आलसी होते जा रहे हैं। और हाँ,
    एक बात और। मैं अब शत्रु को सोना नहीं दूंगा, बल्कि उससे लड़ाई करूँगा।
    जाओ, सेना को मज़बूत करो।” मंत्री राजा की बात सुनकर बहुत खुश हो गया। (i) राजा कंचनदेव की चिंता का क्या कारण था ? उन्होंने साधु से क्या प्रार्थना की? (ii) साधु ने राजा को क्या बताया ? उसके बाद राजा ने राज्य के लिए क्या-क्या कार्य किए ? (iii) पड़ोसी राजा के आक्रमण करने पर कंचनगढ़ का राजा क्या करता था और क्यों ? (iv) कबूतरों की दशा कैसी थी? उस दशा को देखकर राजा ने क्या सीखा ? (v) राजा ने मंत्री को क्या आदेश दिए ? आदेश सुनकर मंत्री की क्या स्थिति हुई ?
    Ans : (i) राजा की चिंता का कारण राज्य की गरीबी, लोगों की कमजोरी व चारों ओर
    फैली भुखमरी थी। उसने साधु से राज्य के विषय में चर्चा करके कुछ उपाय करने
    की प्रार्थना की। (ii) साधु ने राजा को बताया कि उसके राज्य कंचनगढ़ के
    नीचे सोने की खान है। राजा ने खुदाई करवाकर सोना प्राप्त किया और अपने
    राज्य में मुफ़्त भोजनालय और दवाखाने खुलवा दिए। चरागाह बनवाए और अन्य
    सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करवाए। (iii) पड़ोसी रियासत के राजा के
    आक्रमण करने पर राजा सोने का कुछ भाग दे देता था क्योंकि उसकी प्रजा लड़कर
    खून बहाने के स्थान पर कुछ सोना देने का विचार रखती थी, क्योंकि मुफ्त
    सुविधाएँ पाकर लोग आलसी हो चुके थे। (iv) कुछ कबूतर दाना चुग रहे थे और
    कुछ मरे पड़े थे। राजा के पूछने पर मंत्री ने बताया कि कबूतर भागते नहीं
    क्योंकि वे दाने के लालची हो गए हैं। राजा की आज्ञा से उन्हें मुफ़्त दाना
    डाला जाता है। इस दशा को देखकर राजा को कर्म करने का महत्त्व समझ में आ गया
    और उसने दाना डलवाना बंद कर दिया। (v) राजा ने मंत्री को आदेश दिए कि
    आलसी और निकम्मों के लिए स्थापित सारे मुफ़्त भोजनालय बंद कर दिए जाएँ।
    परिश्रम करने वाला ही खाए। अब शत्रु को सोना नहीं दिया जाएगा। सेना मज़बूत
    की जाए और लड़ाई करके शत्रु को परास्त किया जाए।
  • #3-i
    राजा कंचनदेव की चिंता का क्या कारण था ? उन्होंने साधु से क्या प्रार्थना की?
    Ans : राजा की चिंता का कारण राज्य की गरीबी, लोगों की कमजोरी व चारों ओर
    फैली भुखमरी थी। उसने साधु से राज्य के विषय में चर्चा करके कुछ उपाय करने
    की प्रार्थना की।
  • #3-ii
    साधु ने राजा को क्या बताया ? उसके बाद राजा ने राज्य के लिए क्या-क्या कार्य किए ?
    Ans : साधु ने राजा को बताया कि उसके राज्य कंचनगढ़ के
    नीचे सोने की खान है। राजा ने खुदाई करवाकर सोना प्राप्त किया और अपने
    राज्य में मुफ़्त भोजनालय और दवाखाने खुलवा दिए। चरागाह बनवाए और अन्य
    सुख-सुविधा के साधन उपलब्ध करवाए।
  • #3-iii
    पड़ोसी राजा के आक्रमण करने पर कंचनगढ़ का राजा क्या करता था और क्यों ?
    Ans : पड़ोसी रियासत के राजा के
    आक्रमण करने पर राजा सोने का कुछ भाग दे देता था क्योंकि उसकी प्रजा लड़कर
    खून बहाने के स्थान पर कुछ सोना देने का विचार रखती थी, क्योंकि मुफ्त
    सुविधाएँ पाकर लोग आलसी हो चुके थे।
  • #3-iv
    कबूतरों की दशा कैसी थी? उस दशा को देखकर राजा ने क्या सीखा ?
    Ans : कुछ कबूतर दाना चुग रहे थे और
    कुछ मरे पड़े थे। राजा के पूछने पर मंत्री ने बताया कि कबूतर भागते नहीं
    क्योंकि वे दाने के लालची हो गए हैं। राजा की आज्ञा से उन्हें मुफ़्त दाना
    डाला जाता है। इस दशा को देखकर राजा को कर्म करने का महत्त्व समझ में आ गया
    और उसने दाना डलवाना बंद कर दिया।
  • #3-v
    राजा ने मंत्री को क्या आदेश दिए ? आदेश सुनकर मंत्री की क्या स्थिति हुई ?
    Ans : राजा ने मंत्री को आदेश दिए कि
    आलसी और निकम्मों के लिए स्थापित सारे मुफ़्त भोजनालय बंद कर दिए जाएँ।
    परिश्रम करने वाला ही खाए। अब शत्रु को सोना नहीं दिया जाएगा। सेना मज़बूत
    की जाए और लड़ाई करके शत्रु को परास्त किया जाए।