ICSE-X-Hindi

ICSE Hindi Question Paper 2019 Solved for Class 10 year:2019

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Qstn# B-14 Prvs-QstnNext-Qstn
  • #14
    Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी
    में लिखिए :अब भी आँखें नहीं खुली ? जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए दूसरों से
    चाहते हो वही दूसरे की बेटी को भी दो। जब तक तुम बहू और बेटी को एक-सा
    नहीं समझोगे, न तुम्हें सुख मिलेगा, न शांति।
    [‘बहू की विदा’-विनोद रस्तोगी]
    [Bahu Ki Vida’-Vinod Rastogi] (i) वक्ता का परिचय देते हुए कथन का संदर्भ लिखिए। (ii) “अब भी आँखें नहीं खुली ?” कहने से वक्ता का क्या अभिप्राय है ? पाठ के संदर्भ में समझाइए। (iii) एकांकी के अंत में श्रोता क्या फैसला लेता है और क्यों ? समझाइए। (iv) इस एकांकी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? एकांकी के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (i) वक्ता का परिचय देते हुए कथन का संदर्भ लिखिए। (ii) “अब भी आँखें नहीं खुली ?” कहने से वक्ता का क्या अभिप्राय है ? पाठ के संदर्भ में समझाइए। (iii) एकांकी के अंत में श्रोता क्या फैसला लेता है और क्यों ? समझाइए। (iv) इस एकांकी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? एकांकी के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
    Ans : (i) प्रस्तुत कथन की वक्ता राजेश्वरी है। वह जीवनलाल नामक एक धनी व्यापारी
    की पत्नी है। प्रस्तुत कथन उस समय का है जब जीवनलाल की बेटी के ससुराल
    वाले उसे राखी के अवसर पर मायके भेजने से मना कर देते हैं। (ii) ‘अब भी
    आँखें नहीं खुली’-का अभिप्राय यह है कि जीवनलाल हठी और लोभी है। वह धन के
    लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को राखी के अवसर पर मायके नहीं भेजता। इधर उसकी
    अपनी पुत्री के ससुराल वाले जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो समाचार
    पाकर आँखें खुलने की चर्चा हो रही है। (iii) एकांकी के अंत में जीवनलाल
    का हृदय परिवर्तन हो जाता है। अपनी पुत्री के साथ वैसा ही व्यवहार होते
    देख उसकी आँखें खुल गईं और उसने बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय
    ले लिया। (iv) प्रस्तुत एकांकी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें बहू के
    रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना
    चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते। (i) प्रस्तुत कथन की वक्ता राजेश्वरी है। वह जीवनलाल नामक एक धनी व्यापारी
    की पत्नी है। प्रस्तुत कथन उस समय का है जब जीवनलाल की बेटी के ससुराल
    वाले उसे राखी के अवसर पर मायके भेजने से मना कर देते हैं। (ii) ‘अब भी
    आँखें नहीं खुली’-का अभिप्राय यह है कि जीवनलाल हठी और लोभी है। वह धन के
    लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को राखी के अवसर पर मायके नहीं भेजता। इधर उसकी
    अपनी पुत्री के ससुराल वाले जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो समाचार
    पाकर आँखें खुलने की चर्चा हो रही है। (iii) एकांकी के अंत में जीवनलाल
    का हृदय परिवर्तन हो जाता है। अपनी पुत्री के साथ वैसा ही व्यवहार होते
    देख उसकी आँखें खुल गईं और उसने बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय
    ले लिया। (iv) प्रस्तुत एकांकी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें बहू के
    रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना
    चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते।
  • #14-i [2]
    वक्ता का परिचय देते हुए कथन का संदर्भ लिखिए।
    Ans : प्रस्तुत कथन की वक्ता राजेश्वरी है। वह जीवनलाल नामक एक धनी व्यापारी
    की पत्नी है। प्रस्तुत कथन उस समय का है जब जीवनलाल की बेटी के ससुराल
    वाले उसे राखी के अवसर पर मायके भेजने से मना कर देते हैं।
  • #14-ii [2]
    “अब भी आँखें नहीं खुली ?” कहने से वक्ता का क्या अभिप्राय है ? पाठ के संदर्भ में समझाइए।
    Ans : ‘अब भी
    आँखें नहीं खुली’-का अभिप्राय यह है कि जीवनलाल हठी और लोभी है। वह धन के
    लोभ में आकर अपनी पुत्रवधू को राखी के अवसर पर मायके नहीं भेजता। इधर उसकी
    अपनी पुत्री के ससुराल वाले जब उससे वैसा ही व्यवहार करते हैं तो समाचार
    पाकर आँखें खुलने की चर्चा हो रही है।
  • #14-iii [3]
    एकांकी के अंत में श्रोता क्या फैसला लेता है और क्यों ? समझाइए।
    Ans : एकांकी के अंत में जीवनलाल
    का हृदय परिवर्तन हो जाता है। अपनी पुत्री के साथ वैसा ही व्यवहार होते
    देख उसकी आँखें खुल गईं और उसने बहू को मायके के लिए विदा करने का निर्णय
    ले लिया।
  • #14-iv [3]
    इस एकांकी से आपको क्या शिक्षा मिलती है ? एकांकी के उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
    Ans : प्रस्तुत एकांकी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें बहू के
    रूप में अपने घर में आई दूसरों की बेटियों के प्रति ऐसा व्यवहार नहीं करना
    चाहिए, जैसा हम अपनी बेटियों के साथ कभी भी नहीं देखना चाहते।