ICSE-X-Hindi

10: मातृ मंदिर की ओर (Matri Mandir ki Or) by Subhadra Kumari Chauhan

with Solutions - page 2
  • #2-i
    मार्ग के बाधक कौन है?
    (ii) कवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?
    (iii) ‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ - आशय स्पष्ट कीजिए।
    (iv) शब्दार्थ लिखिए -
    सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,
    (ii) कवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?
    (iii) ‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ - आशय स्पष्ट कीजिए।
    (iv) शब्दार्थ लिखिए -
    सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,
    Ans :
    मार्ग के बाधक पहरेदार है। (ii)
    कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह भगवान से सहायता माँग रही है। (iii)
    कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है। (iv)
    सोपान - सीढ़ियाँ
    शीघ्रता - जल्दी
    दुर्बल - कमजोर (ii)
    कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह भगवान से सहायता माँग रही है। (iii)
    कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है। (iv)
    सोपान - सीढ़ियाँ
    शीघ्रता - जल्दी
    दुर्बल - कमजोर
  • #2-ii
    कवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?
    Ans :
    कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह भगवान से सहायता माँग रही है।
  • #2-iii
    ‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ - आशय स्पष्ट कीजिए।
    Ans :
    कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है।
  • #2-iv
    शब्दार्थ लिखिए -
    सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,
    Ans :
    सोपान - सीढ़ियाँ
    शीघ्रता - जल्दी
    दुर्बल - कमजोर