ICSE-X-Hindi
10: मातृ मंदिर की ओर (Matri Mandir ki Or) by Subhadra Kumari Chauhan
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- Qstn #1Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उ|त्तर लिखिए :
व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलू उनको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे
हृदय का भार हटाऊँ आज।।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़
नयन-जल से नहलाऊँ आज।
मातृ मंदिर में मैंने कहा....
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।।
किंतु यह हुआ अचानक ध्यान,
दीन हूँ छोटी हूँ अज्ञान।
मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।।
- #1-iकिसका हृदय व्यथित है?
Ans :
कवयित्री का हृदय व्यथित है।
- #1-iiकवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए क्या करना चाहती है?
Ans : उत्तर: :
कवयित्री अपनी व्यथा को दूर करने के लिए मातृ मंदिर जाना चाहती है।
- #1-iiiमातृ मंदिर का मार्ग कैसा है?
Ans :
मातृ मंदिर का मार्ग दुर्गम है।
- #1-ivशब्दार्थ लिखिए -
व्यथित, नयन-जल, दुर्गम
Ans :
व्यथित - दुखी
नयन-जल - आँसू
दुर्गम - जहाँ जाना कठिन हो
- Qstn #2Qstn 2. प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे से सोपान
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
अहा ! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रही हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो ,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
- #2-iमार्ग के बाधक कौन है?
Ans :
मार्ग के बाधक पहरेदार है।
- #2-iiकवयित्री भगवान से सहायता क्यों माँग रही है?
Ans :
कवयित्री के पैर दुर्बल हैं और वो ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ने में असमर्थ से इसलिए वह भगवान से सहायता माँग रही है।
- #2-iii‘अहा ! वे जगमग-जगमग जगी, ज्योतियाँ दिख रही हैं वहाँ।’ - आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans :
कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है।
- #2-ivशब्दार्थ लिखिए -
सोपान, शीघ्रता, दुर्बल,
Ans :
सोपान - सीढ़ियाँ
शीघ्रता - जल्दी
दुर्बल - कमजोर
- Qstn #3प्रश्न ग निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
आह ! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रूठूँगी मैं आज
सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
- #3-iकवयित्री क्यों जल्दी से आगे बढ़ना चाहती है?
Ans :
कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है तथा वाद्य भी सुनाई दे रहे है इसलिए वे मातृ भूमि के चरणों में जाना चाहती है।
- #3-iiकवयित्री माँ को क्या सुनाना चाहती है?
Ans :
कवयित्री माँ को फरियाद सुनाना चाहती है।
- #3-iiiकहाँ से पुकार हो रही है?
Ans :
मातृ-वेदी पर से पुकार हो रही है।