ICSE-IX-Hindi

09: चलना हमारा काम है (Chalna Hamara Kam hai) by Shivmangal Singh ‘Suman’

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Qstn# 3 Prvs-Qstn
  • #3
    प्रश्न ग निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    मैं पूर्णता की खोज में
    दर-दर भटकता ही रहा
    प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
    रोडा अटकता ही रहा
    निराशा क्यों मुझे?
    जीवन इसी का नाम है,
    चलना हमारा काम है।
    साथ में चलते रहे
    कुछ बीच ही से फिर गए
    गति न जीवन की रूकी
    जो गिर गए सो गिर गए
    रहे हर दम,
    उसी की सफलता अभिराम है,
    चलना हमारा काम है (i) जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
    (ii) प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?
    (iii) शब्दार्थ लिखिए -रोड़ा, निराशा, अभिराम
    (iv) ‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?
    (i) जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
    (ii) प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?
    (iii) शब्दार्थ लिखिए -रोड़ा, निराशा, अभिराम
    (iv) ‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?
    Ans : (i)
    उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए। (ii)
    प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है। (iii)
    रोड़ा - बाधा
    निराशा - दुःख
    अभिराम - सुंदर (iv)
    जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं।
    (i)
    उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए। (ii)
    प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है। (iii)
    रोड़ा - बाधा
    निराशा - दुःख
    अभिराम - सुंदर (iv)
    जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं।
  • #3-i
    जो गिर गए सो गिर गए रहे हर दम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
    Ans :
    उपर्युक्त पंक्ति का आशय निरंतर गतिशीलता से है। जीवन के पड़ाव में कई मोड़ आते हैं, कई साथी मिलते है, कुछ साथ चलते हैं तो कुछ बिछड़ भी जाते हैं। पर इसका यह अर्थ नहीं कि जीवन थम जाए जो भी कारण हो लेकिन जीवन को अबाध गति से चलते ही रहना चाहिए।
  • #3-ii
    प्रस्तुत कविता में कवि दर-दर क्यों भटकता है?
    Ans :
    प्रस्तुत कविता में कवि पूर्णता की चाह रखता है और इसी पूर्णता को पाने के लिए वह दर-दर भटकता है।
  • #3-iii
    शब्दार्थ लिखिए -रोड़ा, निराशा, अभिराम
    Ans :
    रोड़ा - बाधा
    निराशा - दुःख
    अभिराम - सुंदर
  • #3-iv
    ‘जीवन इसी का नाम है से क्या तात्पर्य है?
    Ans :
    जीवन इसी का नाम से तात्पर्य आगे बढ़ने में आने वाली रुकावटों से है। कवि के अनुसार इस जीवन रूपी पथ पर आगे बढ़ते हुए हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु हमें निराश या थककर नहीं बैठना चाहिए। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए बाधाओं का आना स्वाभाविक है क्योंकि जीवन इसी का नाम होता है जब हम इन बाधाओं को पार कर आगे बढ़ते हैं।