ICSE-IX-Hindi
09: चलना हमारा काम है (Chalna Hamara Kam hai) by Shivmangal Singh ‘Suman’
- #2-iमनुष्य जीवन में किससे घिरा रहता है?
(ii) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?
(iii) ‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ - का आशय स्पष्ट कीजिए।
(iv) शब्दार्थ लिखिए -
अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम
(ii) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?
(iii) ‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ - का आशय स्पष्ट कीजिए।
(iv) शब्दार्थ लिखिए -
अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम
Ans :
मनुष्य जीवन में आशा और निराशा से घिरा रहता है। (ii)
मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है। (iii)
कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है। (iv)
अपूर्ण - जो पूरा न हो
आठों याम - आठ पहर
विशद - बड़े
वाम - विरुद्ध (ii)
मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है। (iii)
कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है। (iv)
अपूर्ण - जो पूरा न हो
आठों याम - आठ पहर
विशद - बड़े
वाम - विरुद्ध
- #2-iiकवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों कहा है?
Ans :
मनुष्य जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते है। कभी कुछ पाता है तो कभी खोता है। आशा और निराशा से घिरा रहता है। इसलिए कवि ने जीवन को अपूर्ण कहा है।
- #2-iii‘फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ, मुझ पर विधाता वाम है’ - का आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans :
कवि के अनुसार इस संसार में हर व्यक्ति को सुख और दुख सहना पड़ता है और ईश्वर के आदेश के अनुसार चलना पड़ता है। इसीलिए कवि कहता है कि दुःख आने पर में क्यों कहता फिरूँ के मुझसे विधाता रुष्ट है।
- #2-ivशब्दार्थ लिखिए -
अपूर्ण, आठों याम, विशद, वाम
Ans :
अपूर्ण - जो पूरा न हो
आठों याम - आठ पहर
विशद - बड़े
वाम - विरुद्ध