ICSE-X-Hindi
ICSE Hindi Question Paper 2019 Solved for Class 10 year:2019
- #13Read the extract given below and answer in Hindi the questions that follow :
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिंदी
में लिखिए :मीनू के हृदय में बचपन से ही अपंगों के लिए दया की भावना थी
परंतु मनोहर को तो वैसे भी वह बचपन से जानती थी। इसीलिए उसकी यह हालत उससे
देखी नहीं जा रही थी। मीनू ने मन ही मन निश्चय दिया कि वह किसी न किसी रूप
में मनोहर की सहायता अवश्य करेगी। विवाह के फालतू खर्च में से कुछ रुपये
बचाकर अपाहिज मनोहर की सहायता करने का उसने संकल्प लिया। (i) मनोहर कौन था ? वह मीनू के पास क्यों आया था ? (ii) उसकी यह दशा कैसे हो गयी थी ? संक्षेप में समझाइए। (iii) मीनू ने मन ही मन क्या निश्चय किया और मनोहर की सहायता कैसे की ? (iv) मीनू के इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? क्या आपने भी कभी किसी की इस प्रकार से सहायता की है समझाइए।Ans : (i) मनोहर राजो का चचेरा भाई है। वह मीनू के पास उसके विवाह में हाथ बँटाने आया है। (ii) मनोहर को एक फैक्ट्री में नौकरी मिली थी। काम करते हुए उसका पैर मशीन में आ गया। साथ ही सीधे हाथ की दो अंगुलियाँ भी कट गईं। (iii) मीनू के मन में बाल्यकाल से ही अपंगों के प्रति विशेष दया-भावना थी।
उसने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह विवाह के खर्च से कटौती करके असहाय
मनोहर की सहायता करेगी। उसने विचार-विमर्श के बाद उसे पान की दुकान खुलवा
देने का निर्णय श्रेष्ठ लगा और उसने दुकान खुलवाकर उसका जीवन सुधार दिया। (iv) मीनू का यह त्याग और अपंग-प्रेम निश्चित रूप से आदर्श और अनुकरणीय
है। हम सभी को शादी में इस प्रकार के व्यर्थ खर्च की कटौती करके उन
दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए। मैंने तो नहीं, परंतु मेरे पिता जी ने
एक अपंग विधवा को फोन-बूथ खुलवा कर दिया था जिसके बाद उसका जीवन सहज हो गया
था।
एकांकी संचय
(Ekanki Sanchay)
- #13-iमनोहर कौन था ? वह मीनू के पास क्यों आया था ?Ans : मनोहर राजो का चचेरा भाई है। वह मीनू के पास उसके विवाह में हाथ बँटाने आया है।
- #13-iiउसकी यह दशा कैसे हो गयी थी ? संक्षेप में समझाइए।Ans : मनोहर को एक फैक्ट्री में नौकरी मिली थी। काम करते हुए उसका पैर मशीन में आ गया। साथ ही सीधे हाथ की दो अंगुलियाँ भी कट गईं।
- #13-iiiमीनू ने मन ही मन क्या निश्चय किया और मनोहर की सहायता कैसे की ?Ans : मीनू के मन में बाल्यकाल से ही अपंगों के प्रति विशेष दया-भावना थी।
उसने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह विवाह के खर्च से कटौती करके असहाय
मनोहर की सहायता करेगी। उसने विचार-विमर्श के बाद उसे पान की दुकान खुलवा
देने का निर्णय श्रेष्ठ लगा और उसने दुकान खुलवाकर उसका जीवन सुधार दिया।
- #13-ivमीनू के इस कार्य से आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? क्या आपने भी कभी किसी की इस प्रकार से सहायता की है समझाइए।Ans : मीनू का यह त्याग और अपंग-प्रेम निश्चित रूप से आदर्श और अनुकरणीय
है। हम सभी को शादी में इस प्रकार के व्यर्थ खर्च की कटौती करके उन
दीन-दुखियों की सहायता करनी चाहिए। मैंने तो नहीं, परंतु मेरे पिता जी ने
एक अपंग विधवा को फोन-बूथ खुलवा कर दिया था जिसके बाद उसका जीवन सहज हो गया
था।
एकांकी संचय
(Ekanki Sanchay)