CBSE-IX-Hindi
12: एक फूल की चाह - सियारामशरण गुप्त
- Qstn #1‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।Ans : चारों ओर भीषण महामारी फैली हुई थी। कितने ही लोग इसकी चपेट में आ चुके थे। सब ओर हाहाकार मचा हुआ था। बच्चों की मृत्यु पर शोक प्रकट करती माताओं का करुण क्रंदने हृदय को दहला देता था।
सुखिया के पिता को भय था कि कहीं उसकी नन्हीं बेटी भी महामारी की चपेट में न आ जाए। वह उसे बहुत रोकता था कि बाहर न जाए। घर में ही टिककर बैठे। परंतु वह बहुत नटखट और चंचल थी। आखिरकार एक दिन उसका भय सच्चाई में बदल गया। वह महामारी के प्रभाव में आ ही गई। उसका नन्हा शरीर ज्वरग्रस्त हो गया। वह बिस्तर पर लेट गई। एक दिन वह पिता से बोली कि मुझे देवी माँ के मंदिर के प्रसाद का एक फूल लाकर दो। पिता सिर झुकाए बैठा रहा। वह जानता था। कि वह अछूत है। उसे मंदिर में घुसने नहीं दिया जाएगा। इसलिए वह सिर नीचा करके बैठी रहा और उसे बचाने के अन्य उपाय सोचता रहा
इसी उधेड़बुन में सुबह से दोपहर और शाम हो गई। चारों ओर गहरा अँधेरा छा गया। उसे लगा कि यह महातिमिर उसकी बेटी को निगल जाएगा। सुखिया की आँखें झुलसने लगीं। | सुखिया के पिता ने बेटी को बचाने के लिए मंदिर में जाने का निश्चय किया। वह मंदिर में पहुँचा। मंदिर पहाड़ी पर था। मंदिर के अंदर उत्सव-सा चल रहा था। भक्त लोग ज़ोर-ज़ोर से ‘पतित तारिणी’, ‘पाप हारिणी’ की जय-जयकार कर रहे थे। वह भी भक्तों की भीड़ में पहुँच गया। उसने पुजारी को दीप-फूल दिए। पुजारी ने उसे पूजा के फूल प्रदान किए। फूल को पाकर वह खुशी से फूला न समाया। उसे लगा मानो इससे सुखिया को नया जीवन मिल जाएगा। अतः उत्साह में वह पुजारी से प्रसाद लेना भूल गया।
इस घटना से पुजारी ने उसे पहचान लिया। उसने शोर मचाया। वहाँ उपस्थित भक्तों ने सुखिया के पिता को पकड़ लिया। वे उस पर आरोप लगाने लगे। कहने लगे कि यह धूर्त है। यह साफ सुथरे कपड़े पहनकर हमको धोखा देना चाहता है। इस अछूत ने मंदिर की पवित्रता नष्ट कर दी है। इसे पकड़ो।
सुखिया के पिता ने उनसे पूछा-‘क्या मेरा कलुष देवी की महिमा से भी अधिक बड़ा है? मैं माता की महिमा के आगे क़हाँ ठहर सकता हूँ।’ परंतु भक्तों ने उसकी एक न सुनी। उन्होंने उसे मार-मारकर जमीन पर गिरा दिया। उसके हाथों का प्रसाद भी धरती पर बिखर गया।
वे भक्तगण सुखिया के पिता को न्यायालय में ले गए। न्यायालय ने उसे सात दिनों की सज़ा सुनाई। उस पर आरोप यह था कि उसने मंदिर की पवित्रता नष्ट की है। सुखिया के पिता ने मौन होकर दंड को स्वीकार कर लिया। वे सात दिन उसके लिए सैकड़ों वर्षों के समान भारी थे। उसकी आँखें निरंतर बहती रहीं, फिर भी दुख कम न हो सका।:
जब सात दिन बीते। सुखिया का पिता जेल से छूटा। वह मरे हुए मन से घर की ओर चला। उसे पता चला कि सुखिया मर चुकी है। वह श्मशान की ओर भागा। परंतु वहाँ सुखिया की चिता ठंडी पड़ी थी। उसकी कोमल बच्ची राख की ढेरी बन चुकी थी। वह रो-रोकर पछताने लगा कि वह बच्ची के अंतिम समय में भी उसे गोद में न ले सका।
- Qstn #2‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’ पढ़िए।Ans : छात्र सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ रचित कविता ‘सरोज स्मृति’ पुस्तक से लेकर स्वयं पढ़ें।
- Qstn #3तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।Ans :
- पहला छात्र - एक समय था, जबकि हमारे समाज में ऊँच-नीच और छुआछूत का बोलबाला था।
- दूसरा छात्र - यह बुराई आज कम हो गई है। परंतु पूरी तरह मिटी नहीं है।
- तीसरा छात्र - आज तो छुआछूत को अपराध घोषित कर दिया गया है।
- चौथा छात्र - अपराध घोषित होने से कुछ नहीं होता। समाज में समस्या ज्यों की त्यों है। कुछ जातियों को नीच मानकर बड़ी जातियों के लोग उनसे दूर रहते हैं।
- पाँचवा छात्र - आरक्षण के कारण यह समस्या और अधिक बढ़ गई है। छठा छात्र-मेरे विचार में आरक्षण के कारण यह समस्या कम होगी।
- पहला छात्र - एक समय था, जबकि हमारे समाज में ऊँच-नीच और छुआछूत का बोलबाला था।
- #Section : Bअन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
- Qstn #1महामारी अपना प्रचंड रूप किस प्रकार दिखा रही थी?Ans : बस्ती में महामारी दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। यहाँ कई बच्चे इसका शिकार हो चुके थे। जिन माताओं के बच्चे अभी इसका शिकार हुए थे, उनका रो-रोकर बुरा हाल था। उनके गले से क्षीण आवाज़ निकल रही थी। उस क्षीण आवाज़ में हाहाकार मचाता उनका अपार दुख था। महामारी के इस प्रचंड रूप में चारों ओर करुण क्रंदन सुनाई दे रहा था।
- Qstn #2पिता सुखिया को कहाँ जाने से रोकता था और क्यों?Ans : पिता सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करता था क्योंकि उसकी बस्ती में महामारी अपने प्रचंड रूप में हाहाकार मचा रही थी। इस महामारी की चपेट में कई बच्चे आ चुके थे। सुखिया अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था। उसे डर था कि कहीं सुखिया महामारी की चपेट में न आ जाए।
- Qstn #3सुखिया ने अपने पिता से देवी के प्रसाद का फूल क्यों माँगा?Ans : सुखिया महामारी की चपेट में आ चुकी थी। महामारी के कारण उसकी आवाज कमजोर हो गई और शरीर के अंग शिथिल पड़ गए थे। उसे लग गया होगा कि उसकी मृत्यु निकट है। उसे आशा रही होगी कि वह शायद देवी के प्रसाद से ठीक हो जाए। बीमारी की दशा में वह स्वयं तो जा नहीं सकती थी, इसलिए उसने देवी के प्रसाद का फूल माँगा।
- Qstn #4मंदिर की भव्यता और सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।Ans : देवी का विशाल मंदिर ऊँचे पर्वत की चोटी पर स्थित था। यह मंदिर बहुत बड़ा था। मंदिर की चोटी पर सुंदर सुनहरा कलश था जो सूर्य की किरणें पड़ने से कमल की तरह खिल उठता था। वहाँ का वातावरण धूप-दीप के कारण सुगंधित था। अंदर भक्तगण मधुर स्वर में देवी का गुणगान कर रहे थे।
- Qstn #5न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को क्यों दंडित किया गया?Ans : न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को इसलिए दंडित किया गया, क्योंकि वह अछूत होकर भी देवी के मंदिर में प्रवेश कर गया था। मंदिर को अपवित्र तथा देवी का अपमान करने के कारण सुखिया के पिता को न्यायालय ने सात दिन के कारावास का दंड देकर दंडित किया।
- Qstn #6भक्तों द्वारा सुखिया के पिता के साथ किए गए इस व्यवहार को आप किस तरह देखते हैं?Ans : भक्तों द्वारा सुखिया के पिता का अपमान और मारपीट करना उसकी संकीर्ण मानसिकता और अमानवीय व्यवहार का प्रतीक है। उनका ऐसा कार्य समाज की समरसता और सौहार्द नष्ट करने वाला है। इससे लोगों में तनाव उत्पन्न होता है। ऐसा व्यवहार सदैव निंदनीय होता है।
- Qstn #7माता के भक्नों ने सुखिया के पिता के साथ कैसा व्यवहार किया?Ans : माता के भक्त जो माता के गुणगान में लीन थे, उनमें से एक की दृष्टि माता के प्रसाद का फूल लेकर जाते हुए सुखिया के पिता पर पड़ी। उसने आवाज़ दी कि यह अछूत कैसे अंदर आ गया। इसको पकड़ लो। फिर क्या था, माता के अन्य भक्तगण पूजा-वंदना छोड़कर उसके पास आए और कोई बात सुने बिना जमीन पर गिराकर मारने लगे।
- Qstn #8पिता अपनी बच्ची को माता के प्रसाद का फूल क्यों न दे सका?Ans : पिता जब मंदिर से देवी के प्रसाद का फूल लेकर बाहर आने वाला था, तभी कुछ सवर्ण भक्तों की दृष्टि उस पर पड़ गई। उन्होंने अछूत कहकर उसे मारा-पीटा और न्यायालय तक ले आए। यहाँ उसे सात दिन का कारावास मिला। इस बीच उसकी बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी और वह अपनी बेटी को माँ के प्रसाद का फूल न दे सका।
- Qstn #9सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?Ans : सुखिया का पिता उस वर्ग से संबंधित था, जिसे समाज के कुछ लोग अछूत कहते हैं, इस कारण वह छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई का शिकार हो गया था। अछूत होने के कारण उसे मंदिर को अपवित्र करने और देवी का अपमान करने का आरोप लगाकर पीटा गया तथा उसे सात दिन की जेल मिली।
- Qstn #10‘एक फूल की चाह’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।Ans : प्राचीन समय से ही भारतीय समाज वर्गों में बँटा है। यहाँ समाज के एक वर्ग द्वारा स्वयं को उच्च तथा दूसरे को निम्न और अछूत समझा जाता है। इस वर्ग का देवालयों में प्रवेश आदि वर्जित है, जो सरासर गलत है। सुखिया का पिता भी जाति-पाति का बुराई का शिकार हुआ था। यह कविता हम सभी को समान समझने, ऊँच-नीच, छुआछूत आदि सामाजिक बुराइयों को नष्ट करने की प्रेरणा देती है। अत: यह कविता पूर्णतया प्रासंगिक है।
- #Section : Cदीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर