CBSE-IX-Hindi
05: वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन - धीरंजन मालवे
- Qstn #5रामन् को मिलने वाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?Ans : रामने को मिलने वाले पुरस्कारों से भारतीयों का आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ा। उनमें विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ी। कितने ही युवा वैज्ञानिक शोध कार्यों की ओर बढ़े। एक प्रकार से भारत की सोई हुई वैज्ञानिक चेतना एकाएक जाग्रत हो उठी।
- #Section : A-s2(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
- Qstn #1रामन् के प्रारंभिक शोधकार्यों को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?Ans : रामन् के शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है, क्योंकि रामन् नौकरी करते थे, जिससे उनके पास समय का अभाव था। फिर भी वे प्रारंभिक शोधकार्य हेतु कलकत्ता (कोलकाता) की उस छोटी-सी प्रयोगशाला में जाया करते थे, जिसमें साधनों का नितांत अभाव था। फिर भी रामन् अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर इन्हीं काम चलाऊ उपकरणों से शोधकार्य करते थे।
- Qstn #2रामन् की खोज ‘रामन् प्रभाव’ क्या है? स्पष्ट कीजिए।Ans : ‘रामन् प्रभाव’ का आशय है उनके द्वारा खोजा गया सिद्धांत। उन्होंने खोज करके बताया कि जब प्रकाश की एकवर्णीय किरणें किसी तरल पदार्थ या ठोस रवों के अणुओं-परमाणुओं से टकराती हैं तो उनकी ऊष्मा में या तो कमी हो जाती है, या वृद्धि हो जाती है। इस कमी या वृद्धि की मात्रा के साथ उनके रंग में भी अंतर आ जाता है। बैंजनी रंग की किरणों में सर्वाधिक ऊर्जा होती है, इसलिए इसके रंग में भी सर्वाधिक अंतर आता है। लाल रंग में न्यूनतम ऊर्जा होती है, इसलिए इसमें न्यूनतम परिवर्तन होता है। इस सिद्धांत से किसी भी अणु या परमाणु की आंतरिक संरचना की सटीक जानकारी मिल सकती है।
- Qstn #3‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?Ans : ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित कार्य संभव हो सके-
- पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा।
- प्रयोगशाला में पदार्थों का संश्लेषण सरल हो गया।
- अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण संभव हो गया।
- पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना के अध्ययन के लिए ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ का सहारा लिया जाने लगा।
- Qstn #4देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।Ans : सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने देश को वैज्ञानिक दृष्टि तथा चिंतन प्रदान किया। इस दिशा में पहले उन्होंने स्वयं सांसारिक सुख-सुविधा त्यागकर प्रयोग साधना की। उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज करके भारत का नाम ऊँचा किया। फिर उन्होंने बंगलौर में एक शोध संस्थान की स्थापना की। उन्होंने अनुसंधान संबंधी दो पत्रिकाएँ भी चलाईं। उन्होंने अनेक नवयुवकों को शोध करने की प्रेरणा दी और मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने संदेश दिया कि हम अपने आसपास की घटनाओं को वैज्ञानिक दृष्टि से निहारने का प्रयास करें। इस प्रकार उन्होंने देश के चिंतन को विज्ञान की दिशा प्रदान की।
- Qstn #5सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।Ans : सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से सुविधाओं की कमी अर्थात अभावग्रस्त जीवन में भी सदैव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। हमें विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी अभिरुचि एवं सपनों को साकार करने के लिए लगन एवं दृढ़विश्वास से कार्य करने का संदेश मिलता है। इसके अलावा विश्वविख्यात होने पर भी सादगीपूर्ण जीवन जीने तथा अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के संदेश के अलावा दूसरों की मदद करने का संदेश भी मिलता है।
- #Section : A-s3(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
- Qstn #1उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।Ans : सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् सच्चे सरस्वती साधक थे। वे जिज्ञासु वैज्ञानिक तथा अन्वेषक थे। उनके लिए वैज्ञानिक खोजों का महत्त्व सरकारी सुख-सुविधाओं से अधिक था। इसलिए उन्होंने वित्त विभाग की ऊँची नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय की कम सुविधा वाली नौकरी स्वीकार कर ली।
- Qstn #2हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।Ans : हमारे आस-पास के वातावरण में अनेक चीजें बिखरी हैं, पर हमारा ध्यान उनकी ओर नहीं जाता। पेड़ से सेब गिरना, समुद्र का नीला होना लोग सदियों से देखते आ रहे हैं, पर न्यूटन और रामन् के अलावा किसी का ध्यान उस ओर नहीं गया। वास्तव में इन चीजों को देखने, उन्हें सही ढंग से सँवारने के लिए योग्य व्यक्तियों की सदैव जरूरत रहती है।
- Qstn #3यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।Ans : बिना साधनों के बलपूर्वक इच्छापूर्वक किसी साधना को करते चले जाना हठयोग कहलाता है। सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् भी ऐसे हठयोगी थे जिन्होंने सरकारी नौकरी में रहते हुए भी कलकत्ता की एक कामचलाऊ प्रयोगशाला में प्रयोग साधना जारी रखी। यद्यपि प्रयोगशाला में साधनों और उपकरणों का अभाव था और रामन् के पास समय का अभाव था, फिर भी वे प्रयोग करने में लगे रहे। इसे हठयोग कहना सर्वथा उचित है।
- #Section : A-s4(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट।
- रामन् का पहला शोध पत्र ..................... में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज .................. के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ................ था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ................. नाम से जानी जाती है।
- पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए ................ का सहारा लिया जाता था।
Ans :- रामन् का पहला शोध पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कलकत्ता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस’ था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के नाम से जाना जाता है।
- पहले अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
- रामन् का पहला शोध पत्र ..................... में प्रकाशित हुआ था।
- #Section : A-s5भाषा-अध्ययन
- Qstn #1नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
- प्रमाण .............
- प्रणाम ................
- धारणा ...............
- धारण ..............
- पूर्ववर्ती .............
- परवर्ती ............
- परिवर्तन ...........
- प्रवर्तन ..............
Ans :- प्रमाण - प्रत्यक्ष देखने के बाद अब प्रमाण की ज़रूस्त नहीं है।
- प्रणाम - हमें अपने बड़ों से प्रणाम करना चाहिए।
- धारणा - सही बात जाने-समझे बिना गलत धारणा नहीं बनानी चाहिए।
- धारण - इस आश्रम के सभी किशोर जनेऊ धारण करते हैं।
- पूर्ववर्ती - पूर्ववर्ती सरकार ने इस बारे में ठोस कदम नहीं उठाया।
- परवर्ती - नौ की परवर्ती संख्या दस है।
- परिवर्तन - परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
- प्रवर्तन - महावीर स्वामी ने जैन धर्म का प्रवर्तन किया।
- प्रमाण .............
- Qstn #2रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
- मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से ..................... हैं।
- अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को .................... रूप से नौकरी दे दी गई है।
- रामन् ने अनेक ठोस रवों और ..................... पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
- आज बाज़ार में देशी और ................... दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
- सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद ......................... में परिवर्तित हो जाता है।
Ans :- मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
- अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
- रामन् ने अनेक ठोस रवों और द्रव पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
- आज बाजार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
- सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद विकर्षण/प्रतिकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
- मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से ..................... हैं।