CBSE-IX-Hindi

06: प्रेमचंद के फटे जूते

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    हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्दचित्रं हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के चित्रं सी विशेषताएँ उभरकर आती हैं?
    Ans : ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ नामक व्यंग्य को पढ़कर प्रेमचंद के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं-
    संघर्षशील लेखक-
    प्रेमचंद आजीवन संघर्ष करते रहे। उन्होंने मार्ग में आने वाली चट्टानों को ठोकरें मारीं। अगल-बगल के रास्ते नहीं खोजे। समझौते नहीं किए। लेखक के शब्दों में
    “तुम किसी सख्त चीज़ को ठोकर मारते रहे हो। ठोकर मार-मारकर अपना जूता फाड़ लिया।”
    अपराजेय व्यक्तित्व-
    प्रेमचंद का व्यक्तित्व अपराजेय था। उन्होंने कष्ट सहकर भी कभी हार नहीं मानी। यदि वे मनचाहा परिवर्तन नहीं कर पाए, तो कम-से-कम कमजोरियों पर हँसे तो सही। उन्होंने निराश-हताश जीने की बजाय मुसकान बनाए रखी। उनकी नज़रों में तीखा व्यंग्य और आत्मविश्वास था। लेखक के शब्दों में-“यह कैसा आदमी है, जो खुद तो फटे जूते पहने फोटो खिंचा रहा है, पर किसी पर हँस भी रहा है।”
    कष्टग्रस्त जीवन-
    प्रेमचंद जीवन-भर आर्थिक संकट झेलते रहे। उन्होंने गरीबी को सहर्ष स्वीकार किया। वे बहुत सीधे-सादे वस्त्र पहनते थे। उनके पास पहनने को ठीक-से जूते भी नहीं थे। फिर भी वे हीनता से पीड़ित नहीं थे। उन्होंने फोटो खिंचवाने में भी अपनी सहजता बनाए रखी।
    सहजता-
    प्रेमचंद अंदर-बाहर से एक थे। लेखक के शब्दों में-”इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी-इसमें पोशाकें बदलने का गुण नहीं है।”
    मर्यादित जीवन-
    प्रेमचंद ने जीवन-भर मानवीय मर्यादाओं को निभाया। उन्होंने अपने नेम-धरम को, अर्थात् लेखकीय गरिमा को बनाए रखा। वे व्यक्ति के रूप में तथा लेखक के रूप में श्रेष्ठ आचरण करते रहे।