अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आजाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा-“जब हम आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हजार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”
मुझे याद आता है सन् 1937 का ज़माना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-‘चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।” मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।
- स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया?
- दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया?
- दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं?
- आज़ादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा?
- दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन-सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?