ICSE-X-Hindi

06: दीपदान (Deepdan) by Ram Kumar Verma

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  • Qstn #1
    Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    ‘तुम कभी रात में अकेले नहीं जाओगे। चारों तरफ़ जह़रीले सर्प घूम रहे हैं। किसी समय भी तुम्हें डस सकते हैं।’
  • #1-i
    वक्ता कौन है? उसका परिचय दीजिए।
    Ans : वक्ता पन्ना धाय है। वह स्वर्गीय महाराणा साँगा की स्वामिभक्त सेविका है। वह कर्तव्यनिष्ठ तथा आदर्श भारतीय नारी है। वह हमेशा कुँवर की सुरक्षा का ध्यान रखती है।
  • #1-ii
    श्रोता कौन है? उसका वक्ता से क्या संबंध है?
    Ans : श्रोता स्वर्गीय महाराणा साँगा का सबसे छोटा पुत्र है। उसकी माँ की मृत्यु के पश्चात से पन्ना धाय जोकि महाराज की सेविका थी उसने उसे माँ की तरह पाला।
  • #1-iii
    वक्ता के उपर्युक्त कथन कहने के पीछे क्या कारण था?
    Ans : महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। इस वजह से कुँवर उदय सिंह की जान को खतरा बढ़ जाने से पन्ना धाय ने उपर्युक्त कथन कहा।
  • #1-iv
    वक्ता श्रोता की सुरक्षा के प्रति चिंतित क्यों रहती थी?
    Ans : वक्ता पन्ना धाय एक देशभक्त राजपूतनी थी तथा अपने राजा के उत्तराधिकारी की रक्षा करना वह परम कर्तव्य समझती थी। महाराणा साँगा की मृत्यु के बाद उनका पुत्र राज सिंहासन का उत्तराधिकारी था परंतु उनकी आयु मात्र 14 वर्ष होने के कारण महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर को राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया। धीरे-धीरे वह राज्य हड़पने की योजना बनाने लगा। इसलिए पन्ना धाय कुँवर उदय सिंह की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती थी।
  • Qstn #2
    Qstn 2. प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ! और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, आनंद और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गाएँगी, गिरने में नाच नाचेंगी।
  • #2-i
    यहाँ किसे पहाड़ कहा गया है? क्यों?
    Ans :
    यहाँ धाय माँ पन्ना को पहाड़ कहा गया है क्योंकि उनमें ईमानदारी और देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी है। जैसे एक पहाड़ अपने देश की सुरक्षा करता है वैसे ही पन्ना धाय भी अपने स्वर्गीय राजा के उत्तराधिकारी कुँवर उदय सिंह की रक्षा के लिए पहाड़ बनकर खड़ी है।
  • #2-ii
    उपर्युक्त कथन किसने किससे कहा? इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
    Ans : उपर्युक्त कथन रावल सरूप सिंह की पुत्री सोना ने धाय माँ पन्ना से कहा। इसका अर्थ यह है कि धाय माँ पन्ना बनवीर सिंह के साथ मिल जाए तथा अपने कर्तव्य कुँवर उदयसिंह की रक्षा से मुँह मोड़ ले।
  • #2-iii
    ‘तुम्हारा बहता हुआ बोझ पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे’ का क्या तात्पर्य है?
    Ans : सोना पन्ना धाय को अपनी देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा
    छोड़कर बनवीर के साथ मिल जाने की सलाह दे रही है।
  • #2-iv
    दीपदान उत्सव का आयोजन किसने और क्यों किया?
    Ans : दीपदान उत्सव उत्सव का आयोजन महाराणा साँगा के भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने किया जिसे राज्य की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया था। उसने सोचा प्रजाजन दीपदान उत्सव के नाचगाने में मग्न होगे तब कुँवर उदय सिंह को मारकर वह सत्ता हासिल कर सकता है।
  • Qstn #3
    प्रश्न ग निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    दूर हट दासी। यह नाटक बहुत देख चुका हूँ। उदयसिंह की हत्या ही तो मेरे राजसिंहासन की सीढ़ी होगी।
  • #3-i
    उपयुक्त वाक्य का प्रसंग स्पष्ट करें।
    Ans : उपर्युक्त वाक्य बनवीर धाय पन्ना से कहता है जब वह कुँवर को मारने जाता है और पन्ना उन्हें रोकने का प्रयास करती है। पन्ना उसे कहती है कि मैं कुँवर को लेकर संन्यासिनी बन जाऊँगी, तुम ताज रख लो कुँवर के प्राण बक्श दो।
  • #3-ii
    पन्ना ने कुँवर को सुरक्षित स्थान पर किस तरह पहुँचाया?
    Ans : पन्ना धाय को जैसे ही बनवीर के षडयंत्र का पता चला वैसे ही पन्ना ने सोये हुए कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया।
  • #3-iii
    पन्ना ने क्या बलिदान दिया?
    Ans : पन्ना ने कुँवर को कीरत के जूठे पत्तलों के टोकरे में सुलाकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। उसके बाद कुँवर के स्थान पर अपने पुत्र चंदन को सुला दिया और उसका मुँह कपड़े से ढँक दिया। जब बलवीर कुँवर को मारने आया उसने चंदन को कुँवर समझकर मार डाला। इस प्रकार पन्ना ने देशधर्म के लिए अपनी ममता की बलि चढ़ा दी।