ICSE-X-Hindi

10: मातृ मंदिर की ओर (Matri Mandir ki Or) by Subhadra Kumari Chauhan

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  • #3
    प्रश्न ग निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
    देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
    आह ! वह मीठी-सी मुसकान
    जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
    उसे भी आती होगी याद?
    उसे, हाँ आती होगी याद।
    नहीं तो रूठूँगी मैं आज
    सुनाऊँगी उसको फरियाद।
    कलेजा माँ का, मैं संतान
    करेगी दोषों पर अभिमान।
    मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
    चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।। (i) कवयित्री क्यों जल्दी से आगे बढ़ना चाहती है?
    (ii) कवयित्री माँ को क्या सुनाना चाहती है?
    (iii) कहाँ से पुकार हो रही है?
    (iv) शब्दार्थ लिखिए -
    स्फूर्ति, फरियाद
    Ans : (i)
    कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है तथा वाद्य भी सुनाई दे रहे है इसलिए वे मातृ भूमि के चरणों में जाना चाहती है। (ii)
    कवयित्री माँ को फरियाद सुनाना चाहती है। (iii)
    मातृ-वेदी पर से पुकार हो रही है। (iv)
    स्फूर्ति - उत्तेजना
    फरियाद - याचना
  • #3-i
    कवयित्री क्यों जल्दी से आगे बढ़ना चाहती है?
    Ans :
    कवियित्री को माँ के मंदिर में जगमगाते दीपों का ज्योति पुंज दिखाई दे रहा है तथा वाद्य भी सुनाई दे रहे है इसलिए वे मातृ भूमि के चरणों में जाना चाहती है।
  • #3-ii
    कवयित्री माँ को क्या सुनाना चाहती है?
    Ans :
    कवयित्री माँ को फरियाद सुनाना चाहती है।
  • #3-iii
    कहाँ से पुकार हो रही है?
    Ans :
    मातृ-वेदी पर से पुकार हो रही है।
  • #3-iv
    शब्दार्थ लिखिए -
    स्फूर्ति, फरियाद
    Ans :
    स्फूर्ति - उत्तेजना
    फरियाद - याचना