ICSE-X-Hindi
10: मातृ मंदिर की ओर (Matri Mandir ki Or) by Subhadra Kumari Chauhan
Qstn# 4 Prvs-Qstn
- #4Qstn 4. प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको हे भगवान। (i) ‘कलेजा माँ का, मैं संतान करेगी दोषों पर अभिमान।’ - का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ii) कवयित्री किसके लिए तैयार है?
(iii) कवयित्री किस पथ पर बढ़ना चाहती है?
(iv) शब्दार्थ लिखिए -
अत्याचार, मातृ-मंदिर
Ans : (i)
कवयित्री कहती है कि माँ का हृदय उदार होता है वह अपने संतान के दोषों पर ध्यान नहीं देती। उसे अपने संतान पर गर्व होता है। (ii)
कवयित्री मरने के लिए तैयार है। (iii)
कवयित्री मातृभूमि की रक्षा में बलिदान के पथ पर बढ़ना चाहती है। (iv)
अत्याचार - जुल्म
मातृ-मंदिर - माता की मंदिर जिस मंदिर में विराजमान है
- #4-i‘कलेजा माँ का, मैं संतान करेगी दोषों पर अभिमान।’ - का आशय स्पष्ट कीजिए।
Ans :
कवयित्री कहती है कि माँ का हृदय उदार होता है वह अपने संतान के दोषों पर ध्यान नहीं देती। उसे अपने संतान पर गर्व होता है।
- #4-iiकवयित्री किसके लिए तैयार है?
Ans :
कवयित्री मरने के लिए तैयार है।
- #4-iiiकवयित्री किस पथ पर बढ़ना चाहती है?
Ans :
कवयित्री मातृभूमि की रक्षा में बलिदान के पथ पर बढ़ना चाहती है।
- #4-ivशब्दार्थ लिखिए -
अत्याचार, मातृ-मंदिर
Ans :
अत्याचार - जुल्म
मातृ-मंदिर - माता की मंदिर जिस मंदिर में विराजमान है