ICSE-X-Hindi
07: विनय के पद (Vinay ke Pad) by Tulsidas
- #1Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
ऐसो कौ उदार जग माहीं।
बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर, राम सरस कोउ नाहीं॥
जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी।
सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी॥
जो संपति दस सीस अरप करि रावन सिव पहँ लीन्हीं।
सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच सहित हरि दीन्ही॥
तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो।
तौ भजु राम, काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो॥ (i) तुलसीदासजी किसके भजन के लिए कह रहे हैं?
(ii) श्री राम ने परम गति किस-किस को प्रदान की?
(iii) रावण को कैसे वैभव प्राप्त हुआ?
(iv) राम ने कौन-सी संपत्ति विभीषण को दे दी?
(i) तुलसीदासजी किसके भजन के लिए कह रहे हैं?
(ii) श्री राम ने परम गति किस-किस को प्रदान की?
(iii) रावण को कैसे वैभव प्राप्त हुआ?
(iv) राम ने कौन-सी संपत्ति विभीषण को दे दी?
Ans : (i)
तुलसीदासजी भगवान श्री राम के भजन के लिए कह रहे हैं। (ii) उत्तर: :
श्री राम ने जटायु जैसे सामान्य गीध पक्षी और शबरी जैसी सामान्य स्त्री को परम गति प्रदान की। (iii)
रावण ने भगवान शंकर को अपने दस सिर अर्पण करके वैभव की प्राप्ति की। (iv)
रावण ने जो संपत्ति अपने दस सिर अर्पण करके प्राप्त की थी उसे श्री राम ने अत्यंत संकोच के साथ विभीषण को दे दी। (i)
तुलसीदासजी भगवान श्री राम के भजन के लिए कह रहे हैं। (ii) उत्तर: :
श्री राम ने जटायु जैसे सामान्य गीध पक्षी और शबरी जैसी सामान्य स्त्री को परम गति प्रदान की। (iii)
रावण ने भगवान शंकर को अपने दस सिर अर्पण करके वैभव की प्राप्ति की। (iv)
रावण ने जो संपत्ति अपने दस सिर अर्पण करके प्राप्त की थी उसे श्री राम ने अत्यंत संकोच के साथ विभीषण को दे दी।
- #1-iतुलसीदासजी किसके भजन के लिए कह रहे हैं?
Ans :
तुलसीदासजी भगवान श्री राम के भजन के लिए कह रहे हैं।
- #1-iiश्री राम ने परम गति किस-किस को प्रदान की?
Ans : उत्तर: :
श्री राम ने जटायु जैसे सामान्य गीध पक्षी और शबरी जैसी सामान्य स्त्री को परम गति प्रदान की।
- #1-iiiरावण को कैसे वैभव प्राप्त हुआ?
Ans :
रावण ने भगवान शंकर को अपने दस सिर अर्पण करके वैभव की प्राप्ति की।
- #1-ivराम ने कौन-सी संपत्ति विभीषण को दे दी?
Ans :
रावण ने जो संपत्ति अपने दस सिर अर्पण करके प्राप्त की थी उसे श्री राम ने अत्यंत संकोच के साथ विभीषण को दे दी।