ICSE-X-Hindi

05: मेघ आये (Megh Aaye) by Sarveshwar Dayal Saxena

with Solutions -
  • #1
    Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
    आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
    दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
    पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
    पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
    आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
    बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए। () Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    () Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    () Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (i) मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (ii) ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iii) मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    Ans : () pAnsr: उत्तर:: लिखिए :
    मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
    आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
    दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
    पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
    पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
    आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
    बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए। (i)
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (i) pAnsr: उत्तर:::
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (ii) उत्तर: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (ii) pAnsr: उत्तर:: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (iii)
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iii) pAnsr: उत्तर:::
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iv)
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना (iv) pAnsr: उत्तर:::
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना () pAnsr: उत्तर:: लिखिए :
    मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
    आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
    दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
    पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
    पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
    आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
    बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए। (i)
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (i) pAnsr: उत्तर:::
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (ii) उत्तर: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (ii) pAnsr: उत्तर:: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (iii)
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iii) pAnsr: उत्तर:::
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iv)
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना (iv) pAnsr: उत्तर:::
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना () pAnsr: उत्तर:: लिखिए :
    मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
    आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
    दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
    पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
    पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
    आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
    बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए। (i)
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (i) pAnsr: उत्तर:::
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है। (ii) उत्तर: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (ii) pAnsr: उत्तर:: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है। (iii)
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iii) pAnsr: उत्तर:::
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी। (iv)
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना (iv) pAnsr: उत्तर:::
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना
  • #1
    Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के
    Ans : pAnsr: उत्तर:: लिखिए :
    मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
    आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
    दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
    पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
    पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
    आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
    बाँकी चितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरकाए।
  • #1-i
    मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    Ans :
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।
  • #1-i
    मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
    Ans : pAnsr: उत्तर:::
    मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा के तेज बहाव के कारण आँधी चलने लगती है जिससे पेड़ कभी झुक जाते हैं तो कभी उठ जाते हैं। दरवाजे खिड़कियाँ खुल जाती हैं। नदी बाँकी होकर बहने लगी। पीपल का वृक्ष भी झुकने लगता है, तालाब के पानी में उथल-पुथल होने लगती है, अंत में आसमान से वर्षा होने लगती है।
  • #1-ii
    ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    Ans : उत्तर: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।
  • #1-ii
    ‘बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए।’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
    Ans : pAnsr: उत्तर:: :
    उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि मेघ के आने का प्रभाव सभी पर पड़ा है। नदी ठिठककर कर जब ऊपर देखने की चेष्टा करती है तो उसका घूँघट सरक जाता है और वह तिरछी नज़र से आए हुए आंगतुक को देखने लगती है।
  • #1-iii
    मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    Ans :
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।
  • #1-iii
    मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
    Ans : pAnsr: उत्तर:::
    कवि ने मेघों में सजीवता लाने के लिए बन ठन की बात की है। जब हम किसी के घर बहुत दिनों के बाद जाते हैं तो बन सँवरकर जाते हैं ठीक उसी प्रकार मेघ भी बहुत दिनों बाद आए हैं क्योंकि उन्हें बनने सँवरने में देर हो गई थी।
  • #1-iv
    शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    Ans :
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना
  • #1-iv
    शब्दार्थ लिखिए - बन ठन के, बाँकी चितवन, पाहून, ठिठकना
    Ans : pAnsr: उत्तर:::
    बन ठन के:
    सज-धज के
    बाँकी चितवन:
    तिरछी नजर
    पाहुन:
    अतिथि
    ठिठकना:
    सहम जाना