ICSE-X-Hindi

03: स्वर्ग बना सकते हैं (Swarg Bana Sakte Hai) by Ramdhari Singh Dinkar

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  • #1
    Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    धर्मराज यह भूमि किसी की, नहीं क्रीत है दासी,
    हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
    सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,
    बाधा-रहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।
    लेकिन विघ्न अनेक सभी इस पथ पर अड़े हुए हैं,
    मानवता की राह रोककर पर्वत अड़े हुए हैं।
    न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव-मानव को,
    चैन कहाँ धरती पर तब तक शांति कहाँ इस भव को। (i) कवि ने भूमि के लिए किस शब्द का प्रयोग किया हैं और क्यों?
    (ii) धरती पर शांति के लिए क्या आवश्यक है?
    (iii) भीष्म पितामह युधिष्ठिर को किस नाम से बुलाते है? क्यों?
    (iv) शब्दार्थ लिखिए - क्रीत, जन्मना, समीरण, भव, मुक्त, सुलभ।
    Ans : (i)
    कवि ने भूमि के लिए ‘क्रीत दासी’ शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि किसी की क्रीत (खरीदी हुई) दासी नहीं है। इस पर सबका समान रूप से अधिकार है। (ii) उत्तर: :
    धरती पर शांति के लिए सभी मनुष्य को समान रूप से सुख-सुविधाएँ मिलनी आवश्यक है। (iii)
    भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ‘धर्मराज’ नाम से बुलाते है क्योंकि वह सदैव न्याय का पक्ष लेता है और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देता। (iv)
    क्रीत:
    खरीदी हुई
    जन्मना:
    जन्म से
    समीरण:
    वायु
    भव:
    संसार
    मुक्त:
    स्वतंत्र
    सुलभ:
    आसानी से प्राप्त
  • #1-i
    कवि ने भूमि के लिए किस शब्द का प्रयोग किया हैं और क्यों?
    Ans :
    कवि ने भूमि के लिए ‘क्रीत दासी’ शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि किसी की क्रीत (खरीदी हुई) दासी नहीं है। इस पर सबका समान रूप से अधिकार है।
  • #1-ii
    धरती पर शांति के लिए क्या आवश्यक है?
    Ans : उत्तर: :
    धरती पर शांति के लिए सभी मनुष्य को समान रूप से सुख-सुविधाएँ मिलनी आवश्यक है।
  • #1-iii
    भीष्म पितामह युधिष्ठिर को किस नाम से बुलाते है? क्यों?
    Ans :
    भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ‘धर्मराज’ नाम से बुलाते है क्योंकि वह सदैव न्याय का पक्ष लेता है और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देता।
  • #1-iv
    शब्दार्थ लिखिए - क्रीत, जन्मना, समीरण, भव, मुक्त, सुलभ।
    Ans :
    क्रीत:
    खरीदी हुई
    जन्मना:
    जन्म से
    समीरण:
    वायु
    भव:
    संसार
    मुक्त:
    स्वतंत्र
    सुलभ:
    आसानी से प्राप्त