ICSE-X-Hindi

09: -भेड़े और भेड़िये (Bhede aur Bhediyen) by Hari Shankar

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  • Qstn #1
    प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    पशु समाज में इस ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से हर्ष की लहर दौड़ गई कि समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण-युग अब आया और वह आया।
  • #1-i
    पशु समाज में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन क्यों आया?
    Ans : उत्तर:
    एक बार वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच गए हैं, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इस प्रकार पशु समाज में प्रजातंत्र की स्थापना का ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन आया।
  • #1-ii
     प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से क्या आशय है?
    Ans :
    उत्तर :
    प्रस्तुत अवतरण में ‘क्रांतिकारी’ परिवर्तन से आशय प्रजातंत्र की स्थापना से है। एक बार वन के पशुओं को ऐसा लगा कि वे सभ्यता के उस स्तर पहुँच, जहाँ उन्हें एक अच्छी शासन-व्यवस्था अपनानी चाहिए और इसके लिए प्रजातंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
  • #1-iii
     पशु समाज में हर्ष की लहर क्यों दौड़ पड़ी?
    Ans : उत्तर:
    पशु समाज ने जब प्रजातंत्र की स्थापना की बात सोची तो उन्हें लगा कि अब उनके जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का स्वर्ण युग आ जाएगा इसलिए पशु में हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।
  • #1-iv
     प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों में कौन-सी आशाएँ जागने लगी?
    Ans : उत्तर:
    प्रजातंत्र की स्थापना की कल्पना से भेड़ों को लगा कि अब उनका भय दूर हो जाएगा। वे उनके प्रतिनिधियों से कानून बनवाएँगे कि कोई जीवधारी किसी को न सताएँ, न मारे। सब जिएँ और जीने दें का पालन करेंगे। उनका समाज शांति, बंधुत्व और सहयोग पर आधारित होगा।
  • Qstn #2
    प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    भेड़िया चिढ़कर बोला, “कहाँ की आसमानी बातें करता है? अरे, हमारी जाति कुल दस फीसदी है और भेड़ें तथा अन्य छोटे पशु नब्बे फीसदी। भला वे हमें काहे को चुनेंगे। अरे, जिंदगी अपने को मौत के हाथ सौंप सकती है? मगर हाँ, ऐसा हो सकता, तो क्या बात थी!”
  • #2-i
    भेड़ियों ने यह क्यों सोचा कि अब संकटकाल आ गया है?
    Ans : उत्तर:
    वन - प्रदेश में भेड़ों और अन्य छोटे पशुओं को मिलाकर उनकी संख्या नब्बे प्रतिशत थी इसलिए यदि प्रजातंत्र की स्थापना होती है तो वहाँ भेड़ों का ही राज होगा और यदि भेड़ों ने यह कानून बना दिया कि कोई पशु किसी को न मारे तो भेड़िये को खाना कैसे मिलेगा। इसलिए भेड़ियों ने सोचा कि प्रजातंत्र की स्थापना से उनपर संकटकाल आ गया है।
  • #2-ii
     प्रस्तुत अवतरण में भेड़ें और भेड़िये किसका प्रतीक हैं?
    Ans : उत्तर:
    प्रस्तुत अवतरण में भेड़ सामान्य जनता का प्रतीक है। जो कपटी नेताओं के झांसे में आकर चुनावों के दौरान इन नेताओं को चुनकर यह सोचते हैं कि ये नेता इनका भला करेंगे।
    वही दूसरी ओर भेड़िये उन राजनीतिज्ञों का प्रतीक हैं जो सामान्य जनता को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों में फँसाकर अपना स्वार्थ साधते हैं।
  • #2-iii
     सियार ने भेड़ियों को सरकस में जाने की सलाह क्यों दी?
    Ans : उत्तर:
    वन-प्रदेश में भेड़ों की संख्या अधिक थी और यदि प्रजातंत्र की स्थापना हो गई तो भेड़ियों के पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं था इसलिए सियार ने भेड़ियों को सरकस में जाने की सलाह दी।
  • #2-iv
     भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात मानने का निश्चय क्यों किया?
    Ans : उत्तर:
    प्रजातंत्र की खबर से भेड़िये बड़े परेशान थे। उन्हें इससे बचाने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। ऐसे समय में बूढ़े सियार ने जब उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई कि वह कोई न कोई योजना बनाकर भेड़ियों की मदद कर देगा तो भेड़ियों ने बूढ़े सियार की बात मानने का निश्चय किया।
  • Qstn #3
    प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    भेड़ों ने देखा तो वह बोली, “अरे भागो, यह तो भेड़िया है।”
  • #3-i
    बूढ़े सियार ने सियारों को क्यों रंगा?
    Ans : उत्तर:
    बूढ़े सियार ने भेड़ियों का चुनाव-प्रचार तथा भेड़ों को भ्रमित और गुमराह करने के लिए सियारों को रंगा था।
    वन-प्रदेश में प्रजातंत्र की स्थापना से भेड़िये डर गए थे तब भेड़ियों की रक्षा करने के लिए बूढ़े सियार ने एक योजना बनाई जिसके अंतर्गत उसे भेड़ियों का प्रचार करना था और भेड़ों को यह विश्वास दिलाना था कि भेड़ों के लिए उपयुक्त उम्मीदवार भेड़िये ही है अपनी इस योजना को सफल बनाने के लिए ही उसने सियारों को रंगा था।
  • #3-ii
     तीनों सियारों का परिचय किस प्रकार दिया गया?
    Ans : उत्तर:
    अपनी योजना को सफल बनाने के लिए सियार ने तीन सियारों को क्रमशः पीले, नीले और हरे में रंग दिया और भेड़ों के सामने उनका परिचय इस प्रकार दिया कि पीले रंगवाला सियार विद्वान, विचारक, कवि और लेखक है, नीले रंगवाले सियार को नेता और स्वर्ग का पत्रकार बताया गया और वहीँ हरे रंगवाले सियार को धर्मगुरु का प्रतीक बताया गया।
  • #3-iii
     बूढ़े सियार ने भेड़िये का रूप क्यों बदला और उसे क्या सलाह दी?
    Ans : उत्तर:
    अपनी योजना को सफल बनाने के लिए बूढ़े सियार ने अपने साथियों को रंगने के बाद भेड़िये के रूप को भी बदला।
    भेड़िये का रूप बदलने के बाद बूढ़े सियार ने उसे तीन बातें याद रखने की सलाह दी कि वह अपनी हिंसक आँखों को ऊपर न उठाए, हमेशा जमीन की ओर ही देखें और कुछ न बोलें और सब से जरुरी बात सभा में बहुत-सी भेड़ें आएगी गलती से उनपर हमला न कर बैठना।