ICSE-X-Hindi
03: महायज्ञ का पुरुस्कार by Yashpal
- #1प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : (i) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
प्रस्तुत पाठ के आधार पर सेठ जी की विशेषताएँ बताइए।
(ii) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठजी के दुःख का कारण क्या था?
(iii) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठानी ने सेठ को क्या सलाह और क्यों दी?
(iv) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में क्या अफ़वाह थी?
(i) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
प्रस्तुत पाठ के आधार पर सेठ जी की विशेषताएँ बताइए।
(ii) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठजी के दुःख का कारण क्या था?
(iii) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठानी ने सेठ को क्या सलाह और क्यों दी?
(iv) ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में क्या अफ़वाह थी?
Ans : (i) उत्तर:
प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं का उल्लेख किया है। सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी। (ii) उत्तर :
सेठ जी के उदार होने के कारण कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं जाता था परंतु अकस्मात् सेठ जी के दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा। ऐसे समय में संगी-साथियों ने भी मुँह फेर दिया और यही सेठ जी के दुःख का कारण था। (iii) उत्तर:
उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी। यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय हुआ करता था। छोटा-बड़ा जैसा यज्ञ होता, उनके अनुसार मूल्य मिल जाता। जब बहुत तंगी हुई तो एक दिन सेठानी ने सेठ को सलाह दी कि क्यों न वे अपना एक यज्ञ बेच डाले। इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी। (iv) उत्तर:
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में यह अफ़वाह थी कि उसे कोई दैवीय शक्ति प्राप्त है जिससे वह तीनों लोकों की बात जान सकती है। (i) उत्तर:
प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं का उल्लेख किया है। सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी। (ii) उत्तर :
सेठ जी के उदार होने के कारण कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं जाता था परंतु अकस्मात् सेठ जी के दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा। ऐसे समय में संगी-साथियों ने भी मुँह फेर दिया और यही सेठ जी के दुःख का कारण था। (iii) उत्तर:
उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी। यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय हुआ करता था। छोटा-बड़ा जैसा यज्ञ होता, उनके अनुसार मूल्य मिल जाता। जब बहुत तंगी हुई तो एक दिन सेठानी ने सेठ को सलाह दी कि क्यों न वे अपना एक यज्ञ बेच डाले। इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी। (iv) उत्तर:
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में यह अफ़वाह थी कि उसे कोई दैवीय शक्ति प्राप्त है जिससे वह तीनों लोकों की बात जान सकती है।
- #1-i‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
प्रस्तुत पाठ के आधार पर सेठ जी की विशेषताएँ बताइए।
Ans : उत्तर:
प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं का उल्लेख किया है। सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी।
- #1-ii‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठजी के दुःख का कारण क्या था?
Ans : उत्तर :
सेठ जी के उदार होने के कारण कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं जाता था परंतु अकस्मात् सेठ जी के दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा। ऐसे समय में संगी-साथियों ने भी मुँह फेर दिया और यही सेठ जी के दुःख का कारण था।
- #1-iii‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
सेठानी ने सेठ को क्या सलाह और क्यों दी?
Ans : उत्तर:
उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी। यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय हुआ करता था। छोटा-बड़ा जैसा यज्ञ होता, उनके अनुसार मूल्य मिल जाता। जब बहुत तंगी हुई तो एक दिन सेठानी ने सेठ को सलाह दी कि क्यों न वे अपना एक यज्ञ बेच डाले। इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी।
- #1-iv‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में क्या अफ़वाह थी?
Ans : उत्तर:
धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में यह अफ़वाह थी कि उसे कोई दैवीय शक्ति प्राप्त है जिससे वह तीनों लोकों की बात जान सकती है।