ICSE-X-Hindi

03: महायज्ञ का पुरुस्कार by Yashpal

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  • Qstn #1
    प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
  • #1-i
    ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
    प्रस्तुत पाठ के आधार पर सेठ जी की विशेषताएँ बताइए।
    Ans : उत्तर:
    प्रस्तुत पाठ लेखक यशपाल द्वारा रचित है। प्रस्तुत पाठ में सेठ जी कुछ ख़ास विशेषताओं का उल्लेख किया है। सेठजी बड़े विन्रम और उदार थे। सेठ जी इतने बड़े धर्मपरायण थे कि कोई साधू-संत उनके द्वार से निराश न लौटता, भरपेट भोजन पाता। उनके भंडार का द्वार हमेशा सबके लिए खुला रहता। उन्होंने बहुत से यज्ञ किए और दान में न जाने कितना धन दिन दुखियों में बाँट दिया था। यहाँ तक की गरीब हो जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी उदारता को नहीं छोड़ा और पुन:धन प्राप्ति के बाद भी ईश्वर से सद्बुद्धि ही माँगी।
  • #1-ii
    ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
    सेठजी के दुःख का कारण क्या था?
    Ans : उत्तर :
    सेठ जी के उदार होने के कारण कोई भी उनके द्वार से खाली नहीं जाता था परंतु अकस्मात् सेठ जी के दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा। ऐसे समय में संगी-साथियों ने भी मुँह फेर दिया और यही सेठ जी के दुःख का कारण था।
  • #1-iii
    ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
    सेठानी ने सेठ को क्या सलाह और क्यों दी?
    Ans : उत्तर:
    उन दिनों एक प्रथा प्रचलित थी। यज्ञों के फल का क्रय-विक्रय हुआ करता था। छोटा-बड़ा जैसा यज्ञ होता, उनके अनुसार मूल्य मिल जाता। जब बहुत तंगी हुई तो एक दिन सेठानी ने सेठ को सलाह दी कि क्यों न वे अपना एक यज्ञ बेच डाले। इस प्रकार बहुत अधिक गरीबी आ जाने के कारण सेठानी ने सेठ को अपना यज्ञ बेचने की सलाह दी।
  • #1-iv
    ‘पर सब दिन न जात एक समान अकस्मात् दिन फिरे और सेठ जी को गरीबी का मुँह देखना पड़ा।’
    धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में क्या अफ़वाह थी?
    Ans : उत्तर:
    धन्ना सेठ की पत्नी के संबंध में यह अफ़वाह थी कि उसे कोई दैवीय शक्ति प्राप्त है जिससे वह तीनों लोकों की बात जान सकती है।
  • Qstn #2
    प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
  • #2-i
    यह देख सेठ का दिल भर आया - "बेचारे को कई दिन से खाना नहीं मिला दीखता, तभी तो यह हालत हो गई है।”
    सेठ जी ने अपना यज्ञ बेचने का निर्णय क्यों लिया?
    Ans : उत्तर:
    सेठ जी को जब पैसों को बहुत तंगी होने लगी और सेठानी ने उन्हें यज्ञ बेचने का सुझाव दिया। सेठानी की यज्ञ बेचने की बात पर पहले सेठ बड़े दुखी हुए परंतु बाद में तंगी का विचार त्यागकर सेठ अपना एक यज्ञ बेचने के लिए तैयार हो गए।
  • #2-ii
    यह देख सेठ का दिल भर आया - "बेचारे को कई दिन से खाना नहीं मिला दीखता, तभी तो यह हालत हो गई है।”
    यज्ञ बेचने के लिए सेठ जी कहाँ गए?
    Ans : उत्तर:
    कुंदनपुर नाम का एक नगर था, जिसमें एक बहुत सेठ रहते थे। लोग उन्हें धन्ना सेठ कहते थे। धन की उनके पास कोई कमी न थी। विपद्ग्रस्त सेठ ने उन्हीं के हाथ एक यज्ञ बेचने का का विचार किया। इस तरह सेठ जी ने कुंदनपुर के धन्ना सेठ के पास अपना यज्ञ बेचने गए।
  • #2-iii
    यह देख सेठ का दिल भर आया - "बेचारे को कई दिन से खाना नहीं मिला दीखता, तभी तो यह हालत हो गई है।”
    सेठ जी ने कहाँ विश्राम और भोजन करने की सोची?
    Ans : उत्तर:
    सेठ जी बड़े तड़के उठे और कुंदनपुर की ओर चल दिए। गर्मी के दिन थे सेठ जी सोचा कि सूरज निकलने से पूर्व जितना ज्यादा रास्ता पार कर लेगें उतना ही अच्छा होगा परंतु आधा रास्ता पार करते ही थकान ने उन्हें आ घेरा। सामने वृक्षों का कुंज और कुआँ देखा तो सेठ जी ने थोड़ा देर रुककर विश्राम और भोजन करने का निश्चय किया।
  • #2-iv
    यह देख सेठ का दिल भर आया - "बेचारे को कई दिन से खाना नहीं मिला दीखता, तभी तो यह हालत हो गई है।”
    सेठ जी ने अपना सारा भोजन कुत्ते को क्यों खिला दिया?
    Ans : उत्तर:
    सामने वृक्षों का कुंज और कुआँ देखा तो सेठ जी ने थोड़ा देर रुककर विश्राम और भोजन करने का निश्चय किया। पोटली से लोटा-डोर निकालकर पानी खींचा और हाथ-पाँव धोए। उसके बाद एक लोटा पानी ले पेड़ के नीचे आ बैठे और खाने के लिए रोटी निकालकर तोड़ने ही वाले थे कि क्या देखते हैं एक कुत्ता हाथ भर की दूरी पर पड़ा छटपटा रहा था। भूख के कारण वह इतना दुर्बल हो गया कि अपनी गर्दन भी नहीं उठा पा रहा था। यह देख सेठ का दिल भर आया और उन्होंने अपना सारा भोजन धीरे-धीरे कुत्ते को खिला दिया।
  • Qstn #3
    प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
  • #3-i
    "सेठ जी ! यज्ञ खरीदने के लिए हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना होगा।”
    उपर्युक्त अवतरण के वक्ता का परिचय दें।
    Ans : उत्तर:
    उपर्युक्त अवतरण की वक्ता कुंदनपुर के धन्ना सेठ की पत्नी हैं। धन्ना सेठ की पत्नी बड़ी विदुषी स्त्री थीं। उनके बारे में यह प्रचलित था कि उन्हें कोई दैवीय शक्ति प्राप्त है जिसके कारण वे तीनों लोकों की बात जान लेती हैं। इसी शक्ति के बल पर वह जान लेती हैं यज्ञ बेचने वाले सेठ अत्यंत उदार, कर्तव्यपरायण और धर्मनिष्ठ हैं।
  • #3-ii
    "सेठ जी ! यज्ञ खरीदने के लिए हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना होगा।”
    श्रोता को वक्ता की किस बात पर आश्चर्य हुआ?
    Ans : उत्तर:
    श्रोता धन्ना सेठ की पत्नी ने जब वक्ता सेठ जी से अपना महायज्ञ बेचने की बात की तो उन्हें आश्चर्य हुआ क्योंकि महायज्ञ की बात तो छोड़िए सेठ ने बरसों से कोई सामान्य यज्ञ भी नहीं किया था।
  • #3-iii
    "सेठ जी ! यज्ञ खरीदने के लिए हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना होगा।”
    सेठ जी धन्ना सेठ की पत्नी की बात सुनकर क्या सोचने लगे?
    Ans : उत्तर:
    धन्ना सेठ की पत्नी ने जब महायज्ञ की बात की तो सेठजी सोचने लगे कि इन्हें यज्ञ तो खरीदना नहीं है नाहक ही मेरी हँसी उड़ा रही हैं क्योंकि जिस महायज्ञ की वे बात कर रही है वो तो उन्होंने किया ही नहीं है।
    (v) "सेठ जी ! यज्ञ खरीदने के लिए हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना होगा।”
    धन्ना सेठ की पत्नी ने सेठ के किस काम को महायज्ञ बताया और क्यों?
    pAns: उत्तर:
    धन्ना सेठ ही पत्नी के अनुसार स्वयं भूखे रहकर चार रोटियाँ किसी भूखे कुत्ते को खिलाना ही महायज्ञ है। इस तरह यज्ञ कमाने की इच्छा से धन-दौलत लुटाकर किया गया यज्ञ, सच्चा यज्ञ नहीं है, निस्वार्थ भाव से किया गया कर्म ही सच्चा यज्ञ महायज्ञ है।