ICSE-IX-Hindi
09: चलना हमारा काम है (Chalna Hamara Kam hai) by Shivmangal Singh ‘Suman’
Qstn# 1 Next-Qstn
- #1Qstn 1. प्रश्न क: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूँ दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक न मंज़िल पा सकूँ,
तब तक मुझे न विराम है, चलना हमारा काम है।
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बँट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गईं
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूँ, राही हमारा नाम है,
चलना हमारा काम है। (i) कवि के पैरों में कैसी गति भरी पड़ी है?
(ii) कवि दर-दर क्यों खड़ा नहीं होना चाहता?
(iii) कवि का रास्ता आसानी से कैसे कट गया?
(iv) शब्दार्थ लिखिए -
गति, प्रबल, विराम, मंज़िल
Ans : (i)
कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है। (ii) pAnsr:
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवश्यकता है। (iii)
कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया। (iv)
गति - चाल
प्रबल - रफ्तार
विराम - आराम
मंज़िल - लक्ष्य
- #1-iकवि के पैरों में कैसी गति भरी पड़ी है?
Ans :
कवि के पैरों में प्रबल गति भरी पड़ी है।
- #1-iiकवि दर-दर क्यों खड़ा नहीं होना चाहता?
Ans : pAnsr:
कवि के पैरों में प्रबल गति है, तो फिर उसे दर-दर खड़ा होने की क्या आवश्यकता है।
- #1-iiiकवि का रास्ता आसानी से कैसे कट गया?
Ans :
कवि को रस्ते में एक साथिन मिल गई जिससे उसने कुछ कह लिया और कुछ उसकी बातें सुन लीं जिसके कारण उसका बोझ कुछ कम हो गया और रास्ता आसानी से कट गया।
- #1-ivशब्दार्थ लिखिए -
गति, प्रबल, विराम, मंज़िल
Ans :
गति - चाल
प्रबल - रफ्तार
विराम - आराम
मंज़िल - लक्ष्य