ICSE-IX-Hindi

04: नेता जी का चश्मा (Netaji ka Chasma) by Swayam Prakash

with Solutions -
Qstn# 4 Prvs-Qstn
  • #4
    Qstn 4. प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : (i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?
    (i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?
    Ans : (i)
    करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।
    (i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
    pAnsr:
    कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।
    (iii) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
    pAnsr:
    मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।
    (iv) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
    pAnsr:
    उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।
    (i)
    करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।
    (i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
    pAnsr:
    कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।
    (iii) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
    pAnsr:
    मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।
    (iv) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
    pAnsr:
    उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।
  • #4-i
    हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर रुकने के लिए मना क्यों किया?
    Ans :
    करीब दो सालों तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और नेताजी की मूर्ति में बदलते चश्मे को देखते रहे फिर एक बार ऐसा हुआ कि नेताजी के चेहरे पर कोई चश्मा नहीं था। पता लगाने पर हालदार साहब को पता चला कि मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर गया और अब ऐसा उस कस्बे में कोई नहीं था जो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाता इसलिए हालदार साहब ने अपने ड्राईवर को चौराहे पर न रुकने का निर्देश दिया।
    (i) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
    pAnsr:
    कैप्टन की मृत्यु के बाद हालदार साहब को लगा कि क्योंकि कैप्टन के समान अब ऐसा कोई अन्य देश प्रेमी बचा न था जो नेताजी के चश्मे के बारे में सोचता। हालदार साहब स्वयं देशभक्त थे और नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। यही सब सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हो गए थे।
    (iii) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
    pAnsr:
    मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टि से मूल्यवान है। अतः उम्मीद है कि बच्चे गरीबी और साधनों के बिना भी देश के लिए कार्य करते रहेंगे।
    (iv) हालदार साहब भावुक हैं। इतनी सी बात पर उनकी आँखें भर आईं।
    हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
    pAnsr:
    उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। यह बात उनके मन में आशा जगाती है कि आज भी देश में देश-भक्ति जीवित है भले ही बड़े लोगों के मन में देशभक्ति का अभाव हो परंतु वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।